एनसीएलटी ने फ्लिपकार्ट के पुनर्गठन को मंजूरी दी, आईपीओ का रास्ता साफ

एनसीएलटी ने फ्लिपकार्ट के पुनर्गठन को मंजूरी दी, आईपीओ का रास्ता साफ

एनसीएलटी ने फ्लिपकार्ट के पुनर्गठन को मंजूरी दी, आईपीओ का रास्ता साफ
Modified Date: December 17, 2025 / 07:23 pm IST
Published Date: December 17, 2025 7:23 pm IST

नयी दिल्ली, 17 दिसंबर (भाषा) राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने फ्लिपकार्ट की आठ इकाइयों के विलय को मंजूरी दे दी है। इससे ऑनलाइन बाजार की इस दिग्गज कंपनी को सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने में मदद मिलेगी।

न्यायाधिकरण ने सिंगापुर में पंजीकृत आठ कंपनियों के बेंगलुरु स्थित परिचालन इकाई फ्लिपकार्ट इंटरनेट प्राइवेट लिमिटेड में विलय से जुड़ी योजना को मंजूरी दी है।

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अब इस मामले को कंपनी पंजीयक (आरओसी) के पास ले जाने से पहले फ्लिपकार्ट को सिंगापुर की अदालत से भी मंजूरी लेनी होगी।

सूत्रों के अनुसार यह मंजूरी प्रेस नोट तीन के तहत आवश्यक स्वीकृति पर भी निर्भर है, जिसके तहत भारत के साथ स्थल सीमा साझा करने वाले देशों से आने वाले निवेश के लिए सरकारी मंजूरी अनिवार्य होती है।

एनसीएलटी के आदेश को वॉलमार्ट के स्वामित्व वाले समूह के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है, जो भारत में लंबे समय से आईपीओ लाने की तैयारी में है।

सिंगापुर स्थित आठ कंपनियां — फ्लिपकार्ट हेल्थ प्राइवेट लिमिटेड, क्विकरूट्स इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड, फ्लिपकार्ट मार्केटप्लेस प्राइवेट लिमिटेड, एफके मिंत्रा होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड, फ्लिपकार्ट इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड, क्लिक2शॉप लॉजिस्टिक्स सर्विसेज इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड, फ्लिपपे प्राइवेट लिमिटेड और फ्लिपकार्ट प्राइवेट लिमिटेड — हैं। ये कंपनियां अपना पूरा कारोबार और हिस्सेदारी फ्लिपकार्ट इंटरनेट प्राइवेट लिमिटेड में विलय करेंगी।

एनसीएलटी ने आदेश में कहा, ”इस योजना के चलते समूह की होल्डिंग संरचना सरल और एकीकृत होगी, शेयरधारिता के स्तरों में कमी आएगी और भारत में शेयरधारकों की प्रत्यक्ष प्रतिबद्धता और भागीदारी को दर्शाया जा सकेगा।”

आईपीओ के लिए निवेशक आम तौर पर एकल और स्पष्ट संरचना वाली इकाई के साथ लेनदेन करना पसंद करते हैं। कई वैश्विक कंपनियों की तरह फ्लिपकार्ट भी पहले कई विदेशी होल्डिंग कंपनियों के माध्यम से काम करती थी।

इस संबंध में फ्लिपकार्ट को भेजे गए ई-मेल का फिलहाल कोई जवाब नहीं आया है।

भाषा पाण्डेय रमण

रमण


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