नयी दिल्ली, चार जून (भाषा) केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मामलों के राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने बुधवार को पेंशनधारकों की शिकायतों के निपटान में प्रशासनिक संवेदनशीलता और दक्षता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि किसी भी सेवानिवृत्त व्यक्ति को बकाया राशि पाने के लिए इधर-उधर भटकना नहीं चाहिए।
यहां 13वीं अखिल भारतीय पेंशन अदालत में सिंह ने पेंशन संबंधी शिकायतों के समयबद्ध निपटान की व्यवस्था का आह्वान करते हुए पेंशनधारकों की गरिमा सुनिश्चित करने में प्रशासनिक संवेदनशीलता और दक्षता की जरूरत बताई।
उन्होंने पूरे देश के पेंशनधारकों, सरकारी अधिकारियों और विभागों के प्रमुखों को एक साथ लाने वाले एक दिवसीय कार्यक्रम में कहा कि पेंशन अदालत मॉडल हाल के वर्षों में किए गए सबसे जन केंद्रित सुधारों में से एक है।
सिंह ने कहा, ‘‘एक पेंशनधारक, जिसने राष्ट्र को जीवन भर सेवा दी है, उसे अपने हक के लिए इधर-उधर भटकना नहीं चाहिए।’’ उन्होंने विभागों से ऐसे मामलों के समाधान में ‘पूरी सरकार’ का दृष्टिकोण अपनाने को कहा।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि निवारण केवल प्रतिक्रियात्मक नहीं होना चाहिए, बल्कि पूर्वानुमानित भी होना चाहिए, जो प्रौद्योगिकी से समर्थित और संवेदनाओं से प्रेरित हो।
मंत्री ने पेंशनधारकों तक पहुंचने के लिए डिजिटल साधन के उपयोग को भी प्रोत्साहित किया, जो व्यक्तिगत रूप से अदालत में भाग लेने में सक्षम नहीं हो सकते हैं।
सिंह ने कहा, ‘‘ये अदालतें न केवल शिकायत निवारण के लिए एक मंच का प्रतिनिधित्व करती हैं, बल्कि सरकार का यह वादा भी है कि कोई भी आवाज अनसुनी नहीं रहेगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ केंद्रीकृत पेंशन शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली जैसे डिजिटल उपायों पर वास्तविक समय के आधार पर नजर रखने और समाधान के लिए लाभ उठाया जाना चाहिए।’’
मंत्री ने विभागों और अधिकारियों से आग्रह किया कि वे पेंशनभोगियों के साथ न केवल लाभार्थियों के रूप में बल्कि ‘प्रशासनिक परिवार के सम्मानित सदस्य’ के रूप में व्यवहार करें।
सिंह ने कहा कि अदालत केवल शिकायत निवारण मंच ही नहीं है, बल्कि प्रशासनिक प्रदर्शन का ‘बैरोमीटर’ भी है।
उन्होंने कहा, ‘‘जब नागरिकों को लगता है कि उनकी बात सुनी जा रही है और उनका सम्मान किया जा रहा है, तो इससे शासन में भरोसा बढ़ता है।’’
कार्मिक मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि सितंबर, 2017 में अपनी स्थापना के बाद से, देश भर में 12 पेंशन अदालतें आयोजित की गई हैं, जिनमें कुल 25,416 मामले लिये गये। इनमें से 18,157 सफलतापूर्वक हल किये गये।
भाषा रमण अजय
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