एनटीपीसी ने कोयले की राख से निर्माण कार्य में काम आने वाले रोड़ी तैयार की

एनटीपीसी ने कोयले की राख से निर्माण कार्य में काम आने वाले रोड़ी तैयार की

एनटीपीसी ने कोयले की राख से निर्माण कार्य में काम आने वाले रोड़ी तैयार की
Modified Date: November 29, 2022 / 08:32 pm IST
Published Date: November 13, 2020 12:17 pm IST

नयी दिल्ली, 13 नवंबर (भाषा) सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली कंपनी एनटीपीसी ने शुक्रवार को कहा कि उसने कोयला राख (फ्लाई ऐश) से निर्माण कार्य में काम आने वाले रोड़ी (गिट्टी) तैयार की है।

कंपनी ने एक बयान में कहा, ‘‘एनटीपीसी लिमिटेड ने फ्लाई ऐश से जियो-पॉलीमर एग्रीगेट (रोड़ी) को सफलतापूर्वक विकसित किया है। प्राकृतिक रोड़ी के स्थान पर इसका उपयोग किया जायेगा, जिससे पर्यावरण पर होने वाले प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी।’’

उल्लेखनीय है कि निर्माण कार्य में काम आने वाले रोड़ी यानी कंकरीट को बड़ी बड़ी चट्टानों को काटकर बनाया जाता है। इससे बड़ी मात्रा में प्रकृति का दोहन होता है।

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अब कोयल की राख से रोड़ी, कंकरीट तैयार की जायेगी जो कि एनटीपीसी की अनुसंधान परियोजना, भारतीय मानकों के वैधानिक मापदंडों के अनुरूप हैं और इसकी पुष्टि राष्ट्रीय सीमेंट और निर्माण सामग्री परिषद (एनसीसीबीएम) ने भी की है।

एनटीपीसी ने इस रोड़ी को सफलतापूर्वक विकसित किया है जिसका उपयोग प्राकृतिक कंकरीट की जगह किया जा सकेगा।

हैदराबाद स्थित एनसीसीबीएम ने भारतीय तकनीकी मानकों के आधार पर इस रोड़ी का परीक्षण किया और उसे मानदंडों के अनुरूप पाया।

बयान के अनुसार एनटीपीसी फ्लाई ऐश के विभिन्न कार्यों में उपयोग को बढ़ावा दे रही है और यह एनटीपीसी के अनुसंधान एवं विकास विभाग की उपलब्धि है। देश में इन कंकरीट रोड़ी की कुल मांग लगभग 200 करोड़ टन है सालाना है।

देश में कोयले से चलने वाले बिजलीघरों द्वारा हर साल लगभग 25.8 करोड़ टन राख (फ्लाई ऐश) का उत्पादन होता है। इसमें से लगभग 78 प्रतिशत राख का उपयोग किया जाता है और शेष राख डाइक में जमा रहती है।

शेष राख का उपयोग करने के लिए एनटीपीसी वैकल्पिक तरीकों की खोज कर रही है, जिसमें वर्तमान अनुसंधान परियोजना भी शामिल है। इस अनुसंधान परियोजना में 90 प्रतिशत से अधिक राख का उपयोग करके एग्रीगेट का उत्पादन किया जाता है।

भाषा

रमण महाबीर

महाबीर


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