शतकवीर बना एक रुपये का नोट, बिना इसके शगुन शुभ नहीं होता

शतकवीर बना एक रुपये का नोट, बिना इसके शगुन शुभ नहीं होता

शतकवीर बना एक रुपये का नोट, बिना इसके शगुन शुभ नहीं होता
Modified Date: November 29, 2022 / 07:47 pm IST
Published Date: November 30, 2017 7:04 am IST

वेब डेस्क। भारत में एक परिपाटी है कि खुशी का कोई भी मौका हो शगुन में दी गई राशि के अंत में एक जरूर होना चाहिए। आपने शायद ही देखा होगा कि किसी को शगुन में 50 रुपये, 100 रुपये, 250 रुपये या 500 रुपये दिया जाता है, इसके साथ लिफाफे में एक रुपये जरूर होता है। पहले ये एक रुपया सिक्के के रूप में होता था, फिर ये करेंसी के रूप में आया और फिर ये सिक्के के रूप में आ गया, अब सिक्का और करेंसी दोनों रूप में मौजूद है। आप सोच रहे होंगे कि ऐसा बार-बार एक रुपये के साथ ही क्यों होता है, तो हम आपको बताते हैं पूरी कहानी, लेकिन उससे पहले ये जान लें कि एक रुपये के जिस नोट की हम बात कर रहे हैं, वो बन गया है शतकवीर। जी हां, आज से ठीक सौ साल पहले भारत में पहली बार एक रुपये का नोट छपकर आया था, वो तारीख थी 30 नवंबर 1917

देखें तस्वीर- 

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दरअसल, 1917 में प्रथम विश्वयुद्ध चल रहा था, भारत तब ब्रिटिश शासन का उपनिवेश था और उस दौर में आने में मुद्रा चलती थी और एक रुपये के सिक्के की कीमत थी 16 आने। सिक्का तब चांदी के होते थे, लेकिन विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटेन की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई और चांदी के सिक्के ढालने के लिए खरीद की जाने वाली चांदी के लिए पैसे कम पड़ गए। यही वो परिस्थिति थी, जब पहली बार सिक्के के बदले नोट की शक्ल में एक रुपये पहली बार छापा गया।

देखें तस्वीर- 

इस नोट में ब्रिटिश राजा जॉर्ज पंचम की तस्वीर लगी थी और दिलचस्प बात ये कि तस्वीर सिक्के के रूप में ही लगी थी यानी एक रुपये की करेंसी में ही एक रुपये का सिक्का छपा हुआ था ताकि लोगों को उसकी कीमत को लेकर किसी तरह का भ्रम न हो। अब ये नोट तो छप गया और प्रचलन में भी आ गया, लेकिन आगे चलकर पता चला कि इसपर छपाई का खर्च तो बहुत ज्यादा है तो 1926 में इसकी छपाई बंद कर दी गई और एक बार फिर ये सिक्के की शक्ल में सामने आया। 1940 तक एक रुपये की करेंसी बंद रही, फिर इसकी छपाई शुरू कर दी गई जो 1994 तक चलती रही और अब फिर से इसे 2015 से छापा जा रहा है। ये एकमात्र ऐसी भारतीय करेंसी है, जिसे भारतीय रिजर्व बैंक नहीं, बल्कि भारत सरकार छापती है और जिसपर रिजर्व बैंक के गवर्नर के नहीं, बल्कि केंद्रीय वित्त सचिव के दस्तखत होते हैं।

वेब डेस्क, IBC24


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