एक-तिहाई डिजिटल भुगतान क्रेडिट कार्ड, मासिक किस्तों के जरिये हुएः रिपोर्ट

एक-तिहाई डिजिटल भुगतान क्रेडिट कार्ड, मासिक किस्तों के जरिये हुएः रिपोर्ट

एक-तिहाई डिजिटल भुगतान क्रेडिट कार्ड, मासिक किस्तों के जरिये हुएः रिपोर्ट
Modified Date: April 11, 2025 / 08:40 pm IST
Published Date: April 11, 2025 8:40 pm IST

नयी दिल्ली, 11 अप्रैल (भाषा) वर्ष 2024 में सभी घरेलू डिजिटल भुगतान लेनदेन में से करीब एक-तिहाई लेनदेन क्रेडिट कार्ड या ब्याज वाली मासिक किस्तों के जरिये किए गए थे। एक रिपोर्ट में यह आंकड़ा दिया गया है।

डिजिटल भुगतान क्षेत्र की कंपनी फाई कॉमर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, डिजिटल भुगतान में यूपीआई एक परिवर्तनकारी उत्पाद बनकर उभरा है और कुल लेनदेन में इसकी हिस्सेदारी 65 प्रतिशत हो चुकी है।

रिपोर्ट कहती है कि छोटे और मध्यम मूल्य वाले लेनदेन पर यूपीआई हावी है जबकि क्रेडिट कार्ड और ईएमआई (समान मासिक किस्त) का उपयोग बड़ी खरीदारी के लिए तेजी से किया जा रहा है।

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इसके अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और वाहन सहायक क्षेत्रों में डिजिटल ऋण लेने की दर में मजबूत वृद्धि देखी गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि त्योहारी खरीदारी, स्कूल में दाखिले और मौसमी रुझान क्रेडिट के इस्तेमाल में तेजी लाते हैं। इससे पता चलता है कि उपभोक्ता अधिक खर्च वाले समय में अल्पकालिक ऋण सुविधा का सहारा लेना पसंद करते हैं।

यह रिपोर्ट देश भर के 20,000 से अधिक दुकानदारों से ऑनलाइन भुगतान के बारे में जुटाए गए आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित है।

फाई कॉमर्स के सह-संस्थापक राजेश लोंढे ने कहा कि यूपीआई और लचीले ऋण विकल्पों का इस्तेमाल आम होते जाने के साथ भविष्य उन लोगों का है जो समावेशी विकास और वित्तीय मजबूती को बढ़ावा देने के लिए इन साधनों का जिम्मेदारी से इस्तेमाल करते हैं।

मौजूदा समय में उपभोक्ता एकमुश्त भुगतान करने के बजाय अपने खर्च को वित्तपोषित करना पसंद करते हैं। यह खासकर शिक्षा (10 प्रतिशत), स्वास्थ्य सेवा (15 प्रतिशत) और वाहन सहायक व्यय (15 प्रतिशत) में स्पष्ट है, जहां बड़ी खरीदारी तेजी से ईएमआई और संरचित क्रेडिट विकल्पों के जरिये की जाती है।

रिपोर्ट के मुताबिक, स्कूल की फीस, इलाज पर खर्च और बड़ी ऑनलाइन खरीद के लिए ईएमआई योजनाओं पर निर्भरता ग्राहकों के वित्तीय व्यवहार में बदलाव को दर्शाती है। अब वे चरणबद्ध ढंग से खर्च और उसके प्रबंधन पर ध्यान देते हैं।

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण


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