ओएनजीसी ने दी बजारा डूबने की घटना में मृत/लापता कर्मियों के परिजनों को राहत सहायता

ओएनजीसी ने दी बजारा डूबने की घटना में मृत/लापता कर्मियों के परिजनों को राहत सहायता

ओएनजीसी ने दी बजारा डूबने की घटना में मृत/लापता कर्मियों के परिजनों को राहत सहायता
Modified Date: November 29, 2022 / 08:59 pm IST
Published Date: May 23, 2021 12:04 pm IST

नयी दिल्ली, 23 मई (भाषा) सार्वजनिक क्षेत्र की ऑएल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) हाल के तूफान में मुंबई के समुद्र में एक बजरे के डूबने के घटना में मृत और लापता तथा बचे कर्मियों के परिजनों तक राहत सहायता उपलब्ध करानी शुरू की है। इस बजरे का परिचालन निजी क्षेत्र की एक ठेकेदार कंपनी कर रही थी।

कंपनी के अधिकारियों ने कहा कि भारतीय नौसेना, तटरक्षक बल, ओएनजीसी की टीम तथा निजी ठेकेदार कंपनी एफकॉन्स की ओर से समुद्री जहजों और हेलीकाप्टरों से लापता कर्मियों की खोज के लिये हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन कंपनी तत्काल राहत के रूप में बचे हुए लोगों को 1 लाख रुपये और मृतक तथा लापता कामगारों के परिजनों को 2 लाख रुपये की तत्काल सहायता देने के लिये कदम उठाना शुरू कर दिया है।

एक अधिकारी ने कहा, ‘‘इसके लिये टीमें बनायी गयी हैं और टीम परिवारों के घर पहुंचकर राहत राशि देने का काम शुरू कर चुकी है। अबतक 13 परिवार को तत्कालिक सहायता दी गयी ह। यथाशीघ्र अन्य परिवार को चेक सौंपे जाएंगे।

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कंपनी का पी-305 सार्वजनिक क्षेत्र की ऑयल एंड नुचेरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) के बाम्बे हाई में तेल कुओं के समीप चक्रवात तौकते की चपेट में आकर पिछले सप्ताह अरब सागर में डूब गया। इस पर 261 लोग सवार थे। इसमें से 186 को बचा लिया गया जबकि 66 की मौत हो गयी जबकि 9 अभी लापता हैं।

अधिकारी के अनुसार, ‘‘पी-305 बजरे पर सवार या तो एफकॉन्स के कर्मचारी थे या फिर उन्हें कंपनी ने ओएनजी से प्राप्त अनुबंध को पूरा करने के लिये ठेके पर रखा था। हम राहत उपाय के लिये पी305 पर सवार लोगों के बारे में निजी ठेकेदार से ब्योरा ले रहे हैं।’’

ओएनजीसी सभी पीड़ित परिवार तक पहुंचने का प्रयास कर रही है। इस कड़ी में जिन परिवार के फोन नंबर नहीं है, उसके लिये ओएनजीसी ने उन संबंधित राज्यों में स्थानीय भाषाओं में प्रेस विज्ञप्ति जारी की है, जहां के प्रभावित कर्मचारी रहने वाले हैं। उसमें कहा गया है कि परिवार के सदस्य हेल्पलाइन पर कंपनी से संपर्क कर सकते हैं।

भाषा

रमण मनोहर

मनोहर


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