नयी दिल्ली, चार मई (भाषा) भारतीय कागज उद्योग ने सरकार से ‘पल्पवुड’ वृक्षारोपण के लिए कागज मिलों को दीर्घकालिक पट्टे पर बंजर भूमि उपलब्ध कराने का आग्रह किया है।
उद्योग का कहना है कि इससे कच्चे माल की कमी को दूर करने और ग्रामीण रोजगार को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
पल्पवुड ऐसे वृक्षों को कहा जाता है, जिनकी लकड़ी को पीसकर रेशेदार गूदे में बदला जा सकता है।
उद्योग ने कहा कि देश में भारी मात्रा में बंजर भूमि उपलब्ध है और अगर इसका एक छोटा सा हिस्सा पल्पवुड वृक्षारोपण के लिए कागज मिलों को पट्टे पर आवंटित किया जाता है, तो यह उद्योग की वृद्धि और देश की हरियाली के लिए क्रांतिकारी कदम हो सकता है।
इंडियन पेपर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईपीएमए) ने शनिवार को एक बयान में कहा कि कागज उद्योग को कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल होने वाली लकड़ी की कमी का सामना करना पड़ रहा है और यह भारत में मिलों के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है।
आईपीएमए ने कहा कि कागज उद्योग कृषि वानिकी प्रयासों को आगे बढ़ा रहा है और घरेलू उद्योग की जरूरत पूरा करने के लिए पल्पवुड के बागानों को तेजी से बढ़ाने की जरूरत है।
बयान के मुताबिक, “देश में उपलब्ध बंजर भूमि का एक हिस्सा पल्पवुड के वृक्षारोपण के लिए पट्टे पर देने से घरेलू विनिर्माण की वृद्धि होगी, और साथ ही ग्रामीण सशक्तीकरण तथा भारत की हरियाली को भी बढ़ावा मिलेगा।”
आईपीएमए के अध्यक्ष पवन अग्रवाल ने कहा, “हम सरकार को यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि यह जमीन लंबी अवधि के पट्टे पर कागज उद्योग को दी जा सकती है। इससे न केवल कागज मिलों को, बल्कि कई लकड़ी-आधारित उद्योगों को वांछित मात्रा में लकड़ी मिलेगी, और साथ ही बड़ी मात्रा में ग्रामीण रोजगार भी पैदा होंगे।”
भाषा अनुराग पाण्डेय
पाण्डेय
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)