सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को साझा प्रौद्योगिकी मंच के उपयोग पर विचार करना चाहिए: डिप्टी गवर्नर

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को साझा प्रौद्योगिकी मंच के उपयोग पर विचार करना चाहिए: डिप्टी गवर्नर

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को साझा प्रौद्योगिकी मंच के उपयोग पर विचार करना चाहिए: डिप्टी गवर्नर
Modified Date: September 30, 2025 / 04:53 pm IST
Published Date: September 30, 2025 4:53 pm IST

नयी दिल्ली, 30 सितंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे. ने सुझाव दिया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (पीएसबी) साझा प्रौद्योगिकी मंच का उपयोग करने एवं संयुक्त रूप से डिजिटल बुनियादी ढांचे का विकास करने पर विचार करें ताकि पैमाने की मितव्ययिता का लाभ उठाया जा सके और लागत कम की जा सके।

उन्होंने कहा कि बैंकों के निदेशक मंडल को और भी सटीक व्यवस्था की जरूरत है जैसे कि वास्तविक समय पर जानकारी जो उभरते जोखिमों या ग्राहकों की चिंताओं को चिह्नित कर सके। जैसे-जैसे बैंक कृत्रिम मेधा और डेटा-संचालित प्रणालियों को अपना रहे हैं, ऐसे उपायों को इन नए क्षेत्रों तक भी विस्तारित किया जाना चाहिए।

स्वामीनाथन ने 12 सितंबर को यहां ‘पीएसबी मंथन’ 2025 को संबोधित करते हुए कहा कि नवाचार का मतलब सिर्फ नए उत्पाद ही नहीं हैं। यह उन्हें बेहतर तरीके से पेश करने के बारे में भी है।

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आरबीआई ने मंगलवार को यह भाषण अपनी वेबसाइट पर डाला।

उन्होंने कहा, ‘‘ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को बड़े पैमाने पर लाभ उठाने, लागत कम करने और ग्राहक अनुभव में एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए साझा प्रौद्योगिकी मंच और डिजिटल बुनियादी ढांचे के संयुक्त विकास पर विचार करना चाहिए। वे ‘डिजिटल ट्विन’ के रूप में जाने जाने वाले एक डिजिटल मॉडल के साथ भी प्रयोग कर सकते हैं…।’’

डिप्टी गवर्नर ने कहा कि ‘डिजिटल ट्विन’ पर बदलावों का पहले परीक्षण करके, बैंक वास्तविक दुनिया में बदलाव करने से पहले बाधाओं की पहचान कर सकते हैं और दक्षता में सुधार कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने अपनी पूंजी स्थिति को मजबूत किया है और परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार किया है। अब इन लाभों को संरक्षित करने के साथ और बढ़ाने का समय है।

स्वामीनाथन ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का काम न केवल लाखों परिवारों एवं उद्यमों को आश्रय प्रदान करना है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि उनकी छत्रछाया में सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) , स्टार्टअप, महिला उद्यमियों और ग्रामीण उद्यमों को प्रचुर एवं किफायती ऋण में अच्छी वृद्धि हो।

भाषा निहारिका रमण

रमण


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