आरबीआई ने नियामकीय ‘सैंडबॉक्स’ योजना से संबंधित मानकों में बदलाव किए

आरबीआई ने नियामकीय ‘सैंडबॉक्स’ योजना से संबंधित मानकों में बदलाव किए

  •  
  • Publish Date - February 28, 2024 / 07:57 PM IST,
    Updated On - February 28, 2024 / 07:57 PM IST

मुंबई, 28 फरवरी (भाषा) रिजर्व बैंक ने बुधवार को नियामकीय ‘सैंडबॉक्स’ (आरएस) योजना से संबंधित दिशानिर्देशों में बदलाव किया। इसके तहत भागीदार संस्थाओं को डिजिटल व्यक्तिगत जानकारी सुरक्षा मानदंडों का पालन करना होगा।

‘नियामकीय सैंडबॉक्स’ का मतलब एक नियंत्रित/ परीक्षण परिवेश में नए उत्पादों या सेवाओं के सजीव परीक्षण से है। इसके लिए नियामक परीक्षण के सीमित उद्देश्य के लिए कुछ छूट की भी मंजूरी दे सकते हैं।

इसका उद्देश्य वित्तीय सेवाओं में जिम्मेदार नवाचार को बढ़ावा देना, दक्षता को बढ़ावा देना और उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाना है।

आरबीआई ने हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के बाद अगस्त, 2019 में ‘नियामकीय सैंडबॉक्स के लिए सक्षम प्रारूप’ जारी किया था।

आरबीआई ने बुधवार को अपनी वेबसाइट पर अद्यतन ‘नियामकीय सैंडबॉक्स के लिए सक्षम प्रारूप’ डाला। पिछले साढ़े चार वर्षों में हासिल अनुभवों और वित्त-प्रौद्योगिकी, बैंकिंग साझेदारों एवं अन्य हितधारकों से मिली प्रतिक्रिया के आधार पर प्रारूप में संशोधन किया गया है।

इसके मुताबिक, नियामक सैंडबॉक्स प्रक्रिया के विभिन्न चरणों की समयसीमा को सात महीने से बढ़ाकर नौ महीने कर दिया गया है।

अद्यतन प्रारूप में यह अनिवार्य किया गया है कि सैंडबॉक्स से गुजर रहीं संस्थाएं डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 के प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करें।

नियामकीय ‘सैंडबॉक्स’ का हिस्सा बनने के लिए स्टार्टअप, बैंक, वित्तीय संस्थान जैसी वित्त-प्रौद्योगिकी कंपनियां और वित्तीय सेवा कारोबारों के साथ काम करने वाली सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी) और साझेदारी कंपनियों को लक्षित किया गया है।

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण