रिजर्व बैंक ने व्यक्तिगत कर्ज को लेकर बैंक, एनबीएफसी के लिये नियमों को सख्त किया

रिजर्व बैंक ने व्यक्तिगत कर्ज को लेकर बैंक, एनबीएफसी के लिये नियमों को सख्त किया

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  • Publish Date - November 16, 2023 / 07:09 PM IST,
    Updated On - November 16, 2023 / 07:09 PM IST

मुंबई, 16 नवंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिये असुरक्षित माने जाने वाले व्यक्तिगत कर्ज से जुड़े नियमों को कड़ा किया।

संशोधित मानदंड में जोखिम भार में 25 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।

हालांकि संशोधित नियम गृह, शिक्षा और वाहन ऋण सहित कुछ उपभोक्ता कर्ज पर लागू नहीं होंगे।

इसके अलावा यह नियम सोने और सोने के आभूषणों के एवज में दिये गये कर्ज पर भी लागू नहीं होगा। इन कर्जों पर 100 प्रतिशत जोखिम भारांश लागू रहेगा।

उच्च जोखिम भार का मतलब है कि जब असुरक्षित माने जाने वाले व्यक्तिगत कर्ज की बात आती है तो बैंकों को अलग से ज्यादा राशि का प्रावधान करना होगा। दूसरे शब्दों में, उच्च जोखिम भार बैंकों की कर्ज देने की क्षमता को सीमित करता है।

रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल ही में उपभोक्ता कर्ज की श्रेणी में कुछ ऋण में अधिक वृद्धि की बात कही थी। उन्होंने बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को अपनी आंतरिक निगरानी व्यवस्था को मजबूत करने, बढ़ते जोखिमों से निपटने तथा अपने हित में उपयुक्त सुरक्षा कदम उठाने की सलाह दी थी।

दास ने जुलाई और अगस्त में क्रमश: प्रमुख बैंकों और बड़े एनबीएफसी के प्रबंध निदेशकों/मुख्य कार्यपालक अधिकारियों के साथ बातचीत के दौरान उपभोक्ता कर्ज में उच्च वृद्धि और बैंक उधार पर एनबीएफसी की बढ़ती निर्भरता का भी जिक्र किया था।

आरबीआई ने एक परिपत्र में कहा, ‘‘समीक्षा के आधार पर व्यक्तिगत कर्ज सहित वाणिज्यिक बैंकों (बकाया और नये) के उपभोक्ता कर्ज के मामले में जोखिम के संबंध में जोखिम भार बढ़ाने का फैसला गया है। इसके तहत जोखिम भार को 25 प्रतिशत बढ़ाकर 125 प्रतिशत कर दिया गया है। हालांकि, इसमें आवास ऋण, शिक्षा कर्ज, वाहन कर्ज और सोना तथा स्वर्ण आभूषण के आधार पर लिये गये कर्ज को शामिल नहीं किया गया है।’’

केंद्रीय बैंक ने बैंकों और एनबीएफसी के लिये कर्ज प्राप्तियों पर जोखिम भार को भी 25 प्रतिशत बढ़ाकर क्रमशः 150 प्रतिशत और 125 प्रतिशत कर दिया है।

भाषा रमण अजय

अजय