रुपया 55 पैसे चढ़कर 90.38 प्रति डॉलर पर बंद

रुपया 55 पैसे चढ़कर 90.38 प्रति डॉलर पर बंद

रुपया 55 पैसे चढ़कर 90.38 प्रति डॉलर पर बंद
Modified Date: December 17, 2025 / 08:47 pm IST
Published Date: December 17, 2025 8:47 pm IST

मुंबई, 17 दिसंबर (भाषा) अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया बुधवार को उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में अपने अबतक के सबसे निचले स्तर से उबरने में कामयाब रहा और 55 पैसे की तेजी के साथ 90.38 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। केंद्रीय बैंक के संभावित आक्रामक हस्तक्षेप से रुपया में यह तेजी आई।

विश्लेषकों ने कहा कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में हाल की गिरावट मुख्य रूप से बाहरी कारकों के कारण हुई है, न कि घरेलू आर्थिक कमजोरी की वजह से। बदलते आर्थिक एवं भू-राजनीतिक संकेतों के बीच विदेशी मुद्रा बाजार में व्यापक अस्थिरता जारी रहने का अनुमान है।

अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता में आशाजनक प्रगति न होने और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की लगातार बिकवाली ने बाजार की धारणा को प्रभावित किया है, जबकि ब्रेंट कच्चे तेल की कीमतें 60 डॉलर प्रति बैरल के करीब रहने से घरेलू मुद्रा को निचले स्तर पर समर्थन मिला।

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अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 91.05 पर खुला। इसके बाद इसने कुछ हद तक खोई हुई बढ़त हासिल की और 89.96 प्रति डॉलर के दिन के उच्च स्तर को छुआ जो पिछले बंद भाव से 97 पैसे की बढ़त दर्शाता है।

अंत में रुपया 90.38 प्रति डॉलर पर बंद हुआ जो पिछले बंद भाव से 55 पैसे अधिक है।

रुपया मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पहली बार 91 के स्तर को पार कर 91.14 प्रति डॉलर पर पहुंच गया था। अंत में 90.93 पर बंद हुआ था।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, ‘‘ पांच सत्र की लगातार गिरावट के बाद भारतीय रुपया मजबूत हुआ है जिसे केंद्रीय बैंक के संभावित आक्रामक हस्तक्षेप से बल मिला है।’’

परमार ने कहा कि आर्थिक और भू-राजनीतिक संकेतों से विदेशी मुद्रा बाजार में व्यापक अस्थिरता बने रहने का अनुमान है।

उन्होंने कहा, ‘‘ तकनीकी रूप से भारतीय रुपये को निचले स्तर 90.60 और ऊंचे स्तर 89.70 पर समर्थन प्राप्त है। ’’

कोटक म्यूचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी दीपक अग्रवाल ने कहा, ‘अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में रिकॉर्ड गिरावट मुख्य रूप से बाहरी कारणों से हुई है, न कि घरेलू आर्थिक कमजोरी से। भारतीय निर्यात पर भारी अमेरिकी शुल्क (50 प्रतिशत) लगाने के अलावा, इसके मुख्य कारणों में लगातार पूंजी की निकासी जैसे तत्व शामिल है।

उन्होंने कहा, ‘इन कारणों से सालाना आधार पर लगभग छह प्रतिशत की गिरावट आई है, जिससे रुपया वर्ष 2025 में एशिया की सबसे ज्यादा प्रभावित मुद्रा बन गयी है।’’

अग्रवाल ने कहा कि भारत की मजबूत जीडीपी वृद्धि दर, मजबूत विदेशीमुद्रा भंडार और प्रबंधन करने योग्य चालू खाता घाटे के बावजूद, अमेरिका-भारत व्यापार को लेकर अनिश्चितता और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा लगातार बिकवाली ने बाजार धारणा पर दबाव डाला है।

इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.42 प्रतिशत की बढ़त के साथ 98.56 पर रहा।

घरेलू शेयर बाजार के मोर्चे पर सेंसेक्स 120.21 अंक टूटकर 84,559.65 अंक पर जबकि निफ्टी 41.55 अंक फिसलकर 25,818.55 अंक पर बंद हुआ।

अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 2.09 प्रतिशत की बढ़त के साथ 60.16 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा।

शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक बाजार में शुद्ध लिवाल रहे। उन्होंने बुधवार को शुद्ध रूप से 1,171.71 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।

भाषा राजेश राजेश रमण

रमण


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