अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में रुपया कर सकता है मजबूत वापसी: एसबीआई अध्ययन
अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में रुपया कर सकता है मजबूत वापसी: एसबीआई अध्ययन
नयी दिल्ली, 17 दिसंबर (भाषा) अमेरिकी के भारत पर लगाए गए 50 प्रतिशत शुल्क के कारण मुख्य रूप से कमजोर हो रहा भारतीय रुपया, अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में मजबूत वापसी कर सकता है। भारतीय स्टेट बैंक के आर्थिक शोध विभाग की एक रिपोर्ट में बुधवार को यह कहा गया।
अमेरिका ने दो अप्रैल, 2025 से सभी अर्थव्यवस्थाओं पर बड़े पैमाने पर शुल्क बढ़ोतरी की घोषणा की। तब से भारतीय रुपया, डॉलर के मुकाबले 5.7 प्रतिशत कमजोर हुआ है। यह प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ज्यादा है। हालांकि अमेरिका-भारत व्यापार समझौते को लेकर उम्मीद बनने के कारण बीच-बीच में मजबूती के दौर भी आए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि भारतीय रुपया बाकियों के मुकाबले सबसे ज्यादा कमजोर हुआ है, लेकिन यह सबसे ज्यादा अस्थिर नहीं है।
इसमें कहा गया है, ‘‘यह स्पष्ट रूप से बताता है कि भारत पर लगाया गया 50 प्रतिशत शुल्क रुपये की विनिमय दर में मौजूदा गिरावट पीछे प्रमुख कारणों में से एक है।’’
इसमें कहा गया है कि भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के साथ निवेशकों का बड़ा पूंजी प्रवाह अब बीते दिनों की बात है।
पिछले रुझान बताते हैं कि वर्ष 2007 से वर्ष 2014 के दौरान, शुद्ध पोर्टफोलियो प्रवाह औसतन 162.8 अरब डॉलर था, जबकि वर्ष 2015 से वर्ष 2025 (अब तक) से, पोर्टफोलियो प्रवाह 87.7 अरब डॉलर यानी बहुत कम रहा है।
शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि 2014 से पहले पोर्टफोलियो निवेश प्रवाह अधिक रहना रुपये में उतार-चढ़ाव का मुख्य कारण था।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है, ‘‘व्यापार समझौते में देरी के कारण उत्पन्न भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के चलते अब ऐसी स्थिति नहीं है…। व्यापार आंकड़ों से पता चलता है कि भारत ने लंबे समय तक अनिश्चितता, बढ़ते संरक्षणवाद और श्रम आपूर्ति में आए झटकों से निपटने में उल्लेखनीय मजबूती दिखायी है।’’
‘ रुपये पर भरोसा’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि अप्रैल 2025 से भू-राजनीतिक जोखिम सूचकांक में कमी आई है, लेकिन अप्रैल-अक्टूबर 2025 के लिए सूचकांक का मौजूदा औसत मूल्य इसके दस साल के औसत से कहीं अधिक है। यह बताता है कि वैश्विक अनिश्चितताएं भारतीय रुपये पर कितना दबाव डाल रही हैं।
एसबीआई के अध्ययन में कहा गया है, ‘‘हमारे विश्लेषण के अनुरूप, रुपया वर्तमान में मूल्य में गिरावट के दौर से गुजर रहा है। रुपये के इस दौर से बाहर निकलने की संभावना है…। हमारा यह भी मानना है कि अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में रुपये में जोरदार उछाल आने की संभावना है।’’
घरेलू मुद्रा को 90 से 91 प्रति डॉलर तक पहुंचने में सिर्फ 13 दिन लगे। हालांकि, बुधवार को रुपये में तेजी से सुधार हुआ और यह डॉलर के मुकाबले 55 पैसे बढ़कर 90.38 पर बंद हुआ।
भारत का विदेशीमुद्रा भंडार जून 2025 में 703 अरब डॉलर तक पहुंच गया था, लेकिन पांच दिसंबर, 2025 को समाप्त सप्ताह में यह घटकर 687.2 अरब डॉलर रह गया। जिसका मुख्य कारण बाजार से पूंजी की निकासी और विनिमय दर में उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा विदेशीमुद्रा विनिमय बाजार में संभावित हस्तक्षेप है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि नवीनतम उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, रिजर्व बैंक ने जून-सितंबर के दौरान विदेशीमुद्रा विनिमय बाजार में लगभग 18 अरब डॉलर का हस्तक्षेप किया है।
भाषा राजेश राजेश रमण
रमण

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