SBI has increased the MCLR rate, new rates have come into effect from May 15

SBI ग्राहकों को बड़ा झटका, फिर बढ़ गई लोन की EMI, बैंक ने MCLR दरों में किया इतने का इजाफा

SBI ग्राहकों को बड़ा झटका, फिर बढ़ गई लोन की EMI : SBI has increased the MCLR rate, new rates have come into effect from May 15

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:56 PM IST, Published Date : May 16, 2022/5:25 pm IST

नई दिल्लीः देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपने ग्राहकों को एक बार फिर बड़ा झटका दिया है। दरअसल, एसबीआई ने एमसीएलआर यानि मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लैंडिग रेट में बढ़ोत्तरी कर दी है। बैंक के इस फैसले के बाद अब ग्राहकों को ईएमआई में वृद्धि हो जाएगी। नई दरें 15 मई यानी रविवार से ही लागू हो गई हैं।

एसबीआई की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार नई MCLR दरें 15 मई से लागू हो गई हैं। इस संशोधन के बाद एक साल की MCLR 7.10 फीसदी से बढ़कर 7.20 फीसदी हो गई है। ज्यादातर कर्ज एक साल की एमसीएलआर दर से जुड़े होते हैं। एक रात, एक महीने और तीन महीने की एमसीएलआर 0.10 प्रतिशत बढ़कर 6.85 फीसदी हो गई, जबकि छह महीने की एमसीएलआर बढ़कर 7.15 फीसदी हो गई। वहीं, दो साल की MCLR 0.1 फीसदी बढ़कर 7.40 फीसदी हो गई, जबकि तीन साल की एमसीएलआर बढ़कर 7.50 फीसदी हो गई।

Read more :  UPSC में ड्रग इंस्पेक्टर सहित इन पदों पर निकली बंपर भर्ती, इच्छुक अभ्यर्थी 2 जून तक कर सकेंगे आवेदन

लोन हो जाएगा महंगा

एमसीएलआर में वृद्धि से ग्राहकों द्वारा लिए गए लोन की मासिक ईएमआई में वृद्धि देखने को मिलेगी। साथ ही नए ग्राहकों के लिए भी लोन महंगा हो जाएगा। बैंक का यह फैसला आरबीआई द्वारा रेपो रेट बढ़ाए जाने के बाद आया है। आरबीआई ने 40 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी की थी। गौरतलब है कि आरबीआई आगे भी ब्याज दरों में वृद्धि कर सकती है जिससे बैंकों से लोन लेना और महंगा हो जाएगा। बता दें कि एसबीआई द्वारा बांटे गए लोन्स में सबसे अधिक हिस्सा (53.1 फीसदी) एमसीएलआर संबंधी लोन का ही है। हाल ही में बैंक ने 2 करोड़ रुपये की एफडी पर ब्याज दर में 40-90 बेसिस पॉइंट बढ़ाए थे।

Read more :  Video: कंगना रनौत ने अनन्या पांडे का खुलेआम उड़ाया मजाक, वीडियो देखकर नहीं रोक पाएंगे हंसी 

जानिए आखिर क्या है एमसीएलआर

मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिग रेट किसी भी वित्तीय संस्थान का अंदरुनी बेंचमार्क या रेफरेंस रेट होता है। यह किसी भी लोन की न्यूनतम ब्याज दर तय करने को परिभाषित करता है। एमसीएलआर को आरबीआई ने भारतीय वित्तीय प्रणाली में 2016 में शामिल किया था। इससे पहले 2010 में लागू किए गए बेस रेट सिस्टम के तहत ब्याज तय किया जाता था। इसे एमसीएलआर के लागू होने के साथ बंद कर दिया गया।