सेबी बोर्ड ने म्यूचुअल फंड में भेदिया कारोबार रोकने के लिए कदम उठाए

सेबी बोर्ड ने म्यूचुअल फंड में भेदिया कारोबार रोकने के लिए कदम उठाए

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  • Publish Date - April 30, 2024 / 08:05 PM IST,
    Updated On - April 30, 2024 / 08:05 PM IST

नयी दिल्ली, 30 अप्रैल (भाषा) सेबी ने म्यूचुअल फंड में ‘फ्रंट-रनिंग’ और भेदिया कारोबार पर लगाम लगाने के लिए मंगलवार को कदम उठाया। इसके तहत सेबी निदेशक मंडल ने फैसला किया कि परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) को संभावित बाजार दुरुपयोग की पहचान और निवारण के लिए एक संस्थागत तंत्र स्थापित करना होगा।

इसके साथ ही निदेशक मंडल ने ऐसे संस्थागत तंत्र के लिए म्यूचुअल फंड का संचालन करने वालीं एएमसी के प्रबंधन की जिम्मेदारी और जवाबदेही बढ़ाने का निर्णय लिया।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने निदेशक मंडल की बैठक के बाद जारी एक बयान के मुताबिक, नियामक चाहता है कि एएमसी गलतियों के खिलाफ आवाज उठाने वाले ‘व्हिसिल ब्लोअर’ तंत्र बनाकर पारदर्शिता को बढ़ावा दे।

सेबी के निदेशक मंडल की पिछले डेढ़ महीने में यह पहली बैठक है। इसके पहले 15 मार्च को बैठक हुई थी।

सेबी के मुताबिक, संस्थागत तंत्र से एएमसी के कर्मचारियों, डीलरों, स्टॉक ब्रोकरों या किसी अन्य संबंधित संस्थाओं द्वारा संभावित गड़बड़ी का पता लगाने और सूचना देने की उम्मीद की जाती है। इसमें खास तरह की गड़बड़ी की पहचान, निगरानी और पता लगाने के लिए उन्नत निगरानी प्रणाली, आंतरिक नियंत्रण प्रक्रियाएं और वृद्धि प्रक्रियाएं शामिल होनी चाहिए।

एएमसी से संबंधित गड़बड़ी में फ्रंट रनिंग, भेदिया कारोबार और संवेदनशील जानकारी का दुरुपयोग शामिल हैं।

जब कोई ब्रोकर या निवेशक गोपनीय जानकारी के आधार पर किसी कारोबार में शामिल होता है, उसे ‘फ्रंट रनिंग’ कहते हैं। यह ऐसी संवेदनशील जानकारी होती है, जिससे परिसंपत्ति की कीमत प्रभावित होती है।

यह निर्णय सेबी द्वारा एक्सिस एएमसी और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) से संबंधित दो ‘फ्रंट-रनिंग’ मामलों में जारी आदेश के बीच आया है।

एक्सिस एएमसी मामले में ब्रोकर-डीलरों, कुछ कर्मचारियों और संबंधित संस्थाओं को एएमसी के कारोबारों को ‘फ्रंट-रनिंग’ में लिप्त पाया गया था। वहीं एलआईसी मामले में, एक सूचीबद्ध बीमा कंपनी के एक कर्मचारी को सौदों की ‘फ्रंट-रनिंग’ करते हुए पाया गया था।

नियामक ने बयान में कहा, ‘हाल में सामने आए मामलों को ध्यान में रखते हुए निदेशक मंडल ने संभावित बाजार दुरुपयोग की पहचान और निवारण के लिए एएमसी को एक व्यवस्थित संस्थागत तंत्र स्थापित करने के लिए सेबी (म्यूचुअल फंड) विनियम, 1996 में संशोधन को मंजूरी दी।”

जहां सेबी इस संस्थागत तंत्र की विस्तृत रूपरेखा को निर्धारित करेगा वहीं म्यूचुअल फंड निकाय ‘एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया’ (एम्फी) सेबी के परामर्श से ऐसे संस्थागत तंत्र के लिए विस्तृत मानकों को तय करेगा।

इसके अतिरिक्त, नियामक ने म्यूचुअल फंड के लिए समान अवसर प्रदान करने के लिए प्रायोजक की समूह कंपनियों की प्रतिभूतियों के संबंध में निष्क्रिय योजनाओं के लिए विवेकपूर्ण मानदंडों को सुव्यवस्थित किया है।

वर्तमान में, म्यूचुअल फंड योजनाओं को प्रायोजक की समूह कंपनियों में अपने शुद्ध संपत्ति मूल्य (एनएवी) का 25 प्रतिशत से अधिक निवेश करने की अनुमति नहीं है।

इसके अलावा अपनी योजनाओं के निवेश को पूरी तरह से समाप्त करने में असमर्थता के संबंध में पूर्ववर्ती उद्यम पूंजी कोष (वीसीएफ) मानदंडों के तहत पंजीकृत वीसीएफ के समक्ष आने वाले मुद्दों के समाधान को लेकर सेबी के निदेशक मंडल ने प्रस्ताव को मंजूरी दी है।

इस प्रस्ताव के तहत ऐसे वीसीएफ को वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) नियमों में स्थानांतरित होने और अघोषित निवेश के मामले में एआईएफ के लिए उपलब्ध सुविधाओं का लाभ उठाने का विकल्प मिलेगा।

भाषा प्रेम

प्रेम रमण

रमण