सेबी ‘बाजार जोखिम कारक प्रकटीकरण’ लाने की तैयारी में, निवेशकों को मिलेगी मदद

सेबी 'बाजार जोखिम कारक प्रकटीकरण' लाने की तैयारी में, निवेशकों को मिलेगी मदद

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  • Publish Date - July 10, 2022 / 05:36 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:54 PM IST

नयी दिल्ली, 10 जुलाई (भाषा) भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) बाजार के रुझानों पर नियमित रूप से ‘जोखिम कारक प्रकटीकरण’ जारी करने की योजना बना रहा है।

इसमें चढ़ाव और गिरावट, दोनों तरह के रुझान शामिल है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इन प्रकटीकरण से निवेशकों को सही निर्णय लेने में मदद मिलेगी।

यह कदम अभी चर्चा के प्रारंभिक चरण में है, जिससे निवेशकों को एक झुंड की मानसिकता से बचने में मदद मिल सकती है।

पिछले कुछ वर्षों में, और खासतौर से महामारी के दौरान 2020 की शुरुआत में देखने को मिला कि निवेशकों ने घबराहट में बिकवाली की और उसके बाद जल्दी से अमीर होने के लालच में बड़े पैमाने पर खरीदारी की, जिससे उन्हें नुकसान हुआ।

इस दौरान खासतौर से बड़ी संख्या में आए आईपीओ में और साथ ही वायदा तथा विकल्प खंड में निवेशकों को नुकसान हुआ।

एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘‘निवेशकों ने प्रत्येक चक्र में एक निश्चित रुझान देखा – यानी, जब शेयर चल रहा होता है, तो हर कोई उसे खरीदने के लिए दौड़ता है और फिर संकट आने पर वे घबराहट में बिक्री करते हैं। पूंजी बाजार में निवेश की मूल बातों को हमेशा नजरअंदाज किया जाता है, और इसका एक प्रमुख कारण स्वतंत्र अंतर्दृष्टि की कमी है।’’

अधिकारी ने आगे कहा कि बाजार में उपलब्ध अधिकांश शोध सामग्री बाजार सहभागियों द्वारा तैयार की गई है, जिनके अपने व्यावसायिक हित होते हैं। ऐसे में यह एक अच्छा विचार हो सकता है यदि नियामक खुद बाजार में तेजी या गिरावट को लेकर अपने नजरिए को सार्वजनिक करे।

सेबी जिस विचार पर काम कर रहा है, उसकी व्याख्या करते हुए एक उच्च स्तरीय सूत्र ने कहा, ‘‘अब वक्त आ गया है कि सेबी उन मामलों पर प्रकटीकरण करके उदाहरण पेश करे, जो बड़े पैमाने पर निवेशकों के लिए उपयोगी हो सकते हैं।’’

इस योजना में शामिल एक सूत्र ने कहा, ‘‘मौजूदा नियमों के तहत एक साधारण वाक्य अनिवार्य है कि कुछ ‘निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैं’ जो बहुत अधिक घिसा-पिटा हो गया है और यह अब काम नहीं करता है। वक्त की जरूरत है कि निवेशकों को कुछ विस्तृत आंकड़े मिलें, वह भी नियामक से। सिर्फ उनके फंड प्रबंधकों से नहीं, जिनका मुख्य उद्देश्य अपने व्यवसायों को बढ़ाना है।’’

उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से यह नियामक की जिम्मेदारी है कि सभी जरूरी खुलासे किए जाएं और तय हो कि बाजार सहभागियों को उनके बारे में कैसे बताना चाहिए।

सूत्र ने कहा कि यह नियामक का कर्तव्य है कि वह निवेशकों और सभी बाजार भागीदारों को बताए कि उसकी समझ क्या है।

भाषा पाण्डेय जतिन

जतिन