छोटी एवं मझोली कंपनियों पर इस साल रहा भारी दबाव, सतर्कता से भरा परिदृश्य

छोटी एवं मझोली कंपनियों पर इस साल रहा भारी दबाव, सतर्कता से भरा परिदृश्य

छोटी एवं मझोली कंपनियों पर इस साल रहा भारी दबाव, सतर्कता से भरा परिदृश्य
Modified Date: December 25, 2025 / 03:47 pm IST
Published Date: December 25, 2025 3:47 pm IST

(सुमेधा शंकर)

नयी दिल्ली, 25 दिसंबर (भाषा) वर्ष 2025 में शेयर बाजार का रुझान अपेक्षाकृत असंतुलित रहा, जिसमें छोटी और मझोली कंपनियों का प्रदर्शन बड़ी कंपनियों के मुकाबले फीका पड़ गया। पिछले दो वर्षों की तेज बढ़ोतरी के बाद उच्च मूल्यांकन और मुनाफावसूली से ये दोनों श्रेणियां दबाव में रहीं जबकि बीएसई सेंसेक्स ने स्थिरता एवं बेहतर रिटर्न दिया।

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आंकड़ों के मुताबिक, मझोली कंपनियों का मानक सूचकांक बीएसई मिडकैप में इस साल 24 दिसंबर तक 360.25 अंक यानी 0.77 प्रतिशत की मामूली बढ़त ही दर्ज की गई जबकि छोटी कंपनियों का सूचकांक बीएसई स्मॉलकैप में अब तक 3,686.98 अंक यानी 6.68 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।

इसके उलट बीएसई पर सूचीबद्ध 30 बड़ी कंपनियों का सूचकांक सेंसेक्स इस दौरान कुल 7,269.69 अंक यानी 9.30 प्रतिशत उछला है। इससे स्पष्ट है कि निवेशकों ने अनिश्चित वैश्विक माहौल में अपेक्षाकृत सुरक्षित और स्थिर माने जाने वाले बड़े शेयरों को प्राथमिकता दी है।

विशेषज्ञों का कहना है कि वर्ष 2025 में स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों का कमजोर प्रदर्शन मुख्य रूप से ‘बाजार सामान्यीकरण’ का परिणाम है। इसके पहले वर्ष 2023 और 2024 में इन शेयरों ने असाधारण रिटर्न दिए थे।

ऑनलाइन ट्रेडिंग फर्म एनरिच मनी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) पोनमुडी आर. ने कहा, ‘वर्ष 2024 में बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक 29 प्रतिशत से अधिक और मिडकैप सूचकांक करीब 26 प्रतिशत चढ़ा था सेंसेक्स से कहीं ज्यादा था। इस तेज उछाल के कारण कई छोटी कंपनियों के शेयरों के दाम उनकी वास्तविक आय वृद्धि की तुलना में काफी ऊपर चले गए थे। लेकिन इस साल इस असंतुलन में सुधार देखने को मिला।’

बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि छोटे एवं मझोले शेयर आम तौर पर घरेलू निवेशकों के पसंदीदा होते हैं जबकि विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) बड़े और स्थापित कंपनियों के शेयरों पर ज्यादा भरोसा करते हैं।

वर्ष 2025 में रुपये में तेज गिरावट, भारत-अमेरिका व्यापार वार्ताओं को लेकर अनिश्चितता और एफआईआई की लगातार बिकवाली ने व्यापक बाजार में जोखिम से बचने की प्रवृत्ति को बढ़ाया। इसका सीधा असर स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों पर पड़ा, जो तरलता, वित्तपोषण लागत और आर्थिक सुस्ती को लेकर अधिक संवेदनशील होते हैं।

इक्विटी शोध एवं परिसंपत्ति प्रबंधन फर्म ट्रस्टलाइन होल्डिंग्स के सीईओ एन अरुणागिरि ने कहा, ‘सितंबर 2024 के बाद से ही शेयर बाजार में समय-संशोधन की स्थिति बनी रही। ऐसे दौर में अधिक उतार-चढ़ाव वाले छोटे एवं मझोले शेयरों का पिछड़ना स्वाभाविक है। यही कारण है कि 2025 में सेंसेक्स और निफ्टी के मुकाबले इन सूचकांकों का कमजोर प्रदर्शन आश्चर्यजनक नहीं रहा है।’

इस दौरान प्रमुख सूचकांकों के स्तरों में भी भारी उतार-चढ़ाव देखा गया। बीएसई मिडकैप सूचकांक नवंबर 2025 में अपने 52-सप्ताह के उच्च स्तर 47,549.4 अंक पर पहुंचा, जबकि स्मॉलकैप सूचकांक जनवरी 2025 में 56,497.39 अंक के शिखर पर था।

वहीं, सेंसेक्स दिसंबर 2025 में 86,159.02 अंक के अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंचा।

मास्टर कैपिटल सर्विसेज के मुख्य शोध अधिकारी रवि सिंह ने कहा, ‘भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता, डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी, ऊंचे बाजार मूल्यांकन और कंपनियों की धीमी आय वृद्धि ने छोटे शेयरों में बिकवाली को बढ़ावा दिया। हालांकि आगे का परिदृश्य पूरी तरह नकारात्मक नहीं है।’

विशेषज्ञों का मानना है कि 2025 में आई गिरावट के बाद गुणवत्ता वाले मिडकैप शेयरों के मूल्यांकन अधिक संतुलित हो गए हैं। यदि रुपये में स्थिरता आती है और कंपनियों की आय में सुधार दिखता है तो चुनिंदा मिडकैप एवं स्मॉलकैप शेयरों में नए अवसर पैदा हो सकते हैं।

हालांकि अरुणागिरि ने कहा कि आगे चलकर बाजार के लिए रुपया प्रमुख घटक बनकर उभरेगा। रुपया हाल ही में डॉलर के मुकाबले 91 के स्तर को भी पार कर गया था जो उसका सबसे निचला स्तर है।

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण


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