उप्र सरकार ने कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को बदलने के लिए बहुआयामी रणनीति की शुरू |

उप्र सरकार ने कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को बदलने के लिए बहुआयामी रणनीति की शुरू

उप्र सरकार ने कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को बदलने के लिए बहुआयामी रणनीति की शुरू

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Modified Date: May 13, 2025 / 02:25 PM IST
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Published Date: May 13, 2025 2:25 pm IST

लखनऊ, 13 मई (भाषा) उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को कहा कि उसने निर्यात को बढ़ावा देने और खाद्य एवं पोषण संबंधी आवश्यकताओं को सुरक्षित करने के लिए राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को बदलने को एक बहुआयामी रणनीति शुरू की है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने बागवानी के विस्तार, स्थानीय प्रसंस्करण को समर्थन तथा वैश्विक बाजार तक पहुंच बनाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं।

एक बयान के मुताबिक, देश की श्रम शक्ति का करीब 40 प्रतिशत हिस्सा कृषि क्षेत्र में समायोजित है। फिर भी प्रच्छन्न बेरोजगारी इस क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या है। किसान परंपरागत खेती की जगह स्थानीय तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार की मांग के अनुसार खेती करें, यही इस समस्या का प्रभावी हल है।

बयान में कहा गया है कि इसमें फलों व सब्जियों की खेती को बढ़ावा देना शामिल है, जो न केवल पारंपरिक खेती की तुलना में दो से ढाई गुना अधिक आय प्रदान करता है, बल्कि श्रम-प्रधान प्रकृति के कारण काफी अधिक रोजगार भी उत्पन्न करता है। इसके अलावा किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को ‘बोनस’ प्रदान करने का दृष्टिकोण स्वाभाविक रूप से खाद्य व पोषण सुरक्षा को बढ़ाता है। ’’

श्रम बाहुल्य खेती होने के कारण इनमें श्रम शक्ति का भी बेहतर समायोजन होता है। इनसे मिलने वाली खाद्य एवं पोषण सुरक्षा ‘बोनस’ के बराबर है। यही वजह है कि राज्य सरकार का सब्जी और बागवानी की खेती, इनके प्रसंस्करण और निर्यात पर खासा जोर है। इसके लिए सरकार कई योजनाएं भी चला रही है।

बयान के मुताबिक, अगर स्थानीय स्तर पर सब्जी और फलों की प्रसंस्करण इकाइयां लगा दी जाएं तो फलों और सब्जियों की नर्सरी, पौधरोपण, परिपक्व फलों एवं सब्जियों की तुड़ाई, ग्रेडिंग, पैकिंग, लोडिंग, अनलोडिंग और विपणन तक मिलने वाले रोजगार की संख्या कई गुना हो जाएगी।

फलों और सब्जियों की खेती, उसकी उत्पादकता एवं गुणवत्ता सुधारकर किसानों को स्थानीय बाजार में या निर्यात बढ़ाकर बेहतर दाम दिलवाने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए प्रसंस्करण पर खासा ध्यान है। सरकार का लक्ष्य हर जिले में छोटी-बड़ी एक हजार प्रसंस्करण इकाइयां लगाने का है। प्रधानमंत्री खाद्य उन्नयन योजना के तहत इकाई लगाने वाले लाभार्थी को 35 प्रतिशत अनुदान पर 30 लाख रुपये तक का ऋण उपलब्ध कराया जाता है। अभी तक करीब 17 हजार प्रसंस्करण इकाइयां लग भी चुकी हैं। इकाई अगर किसी महिला की है और वह इसके लिए सौर संयंत्र लगवाना चाहती है तो उसपर सरकार उसे 90 प्रतिशत तक का अनुदान देती है।

फूलों और सब्जियों की खेती के लिए बाराबंकी के त्रिवेदीगंज में सात हेक्टेयर जमीन में ‘इंडो डच सेंटर फॉर एक्सिलेंस’ खोला जाएगा। इसके लिए नीदरलैंड के विशेषज्ञों के साथ बैठक में दोनों पक्षों में सहमति भी बन चुकी है। इस केंद्र में शोध कार्य होंगे तथा प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार फलों एवं सब्जियों का निर्यात बढ़ाने के लिए बुनियादी सुविधाएं विकसित कर रही हैं।

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष संजीव पुरी ने हाल ही में आय-उन्मुख खेती और अंतरराष्ट्रीय मांग के आधार पर उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया था।

भाषा जफर निहारिका अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)