खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में असीमित संभावनाएं, कंपनियां निवेश बढ़ाएंः सचिव
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में असीमित संभावनाएं, कंपनियां निवेश बढ़ाएंः सचिव
नयी दिल्ली, चार दिसंबर (भाषा) खाद्य प्रसंस्करण सचिव ए. पी. दास जोशी ने बृहस्पतिवार को कंपनियों से इस क्षेत्र में और निवेश करने को कहा ताकि प्रसंस्करण स्तर को 12 प्रतिशत से बढ़ाया जा सके और प्रसंस्कृत खाद्य सामग्रियों के निर्यात में भी तेजी आए।
जोशी ने यहां उद्योग मंडल सीआईआई के एक कार्यक्रम में यह गलतफहमी दूर करने पर जोर दिया कि प्रसंस्कृत खाद्य असल में खराब होता है।
उन्होंने नई श्रम संहिताओं के लागू से खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को फायदा होने की बात भी कही।
जोशी ने कहा कि अधिक वसा, चीनी एवं नमक वाले खाद्य पदार्थों और पैकेट के अगले हिस्से पर ही पोषण संबंधी सूचना देने से संबंधित मामलों पर सरकार बहुत सक्रियता से गौर कर रही है और जल्द ही इस पर कोई फैसला हो सकता है।
वह सीआईआई इंडिया-एज 2025 के हिस्से के तौर पर ‘ग्रामीण खुशहाली और नौकरियों के लिए खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ाना’ विषय पर एक सत्र में बात कर रहे थे।
जोशी ने कहा, ‘‘देशभर में हमारी 24 लाख इकाइयां हैं, और इनमें से केवल दो प्रतिशत ही संगठित हैं। मुझे उद्योग के बड़े नामों से और ज़्यादा निवेश की उम्मीद है।’’
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और निजी घरेलू निवेश की बहुत बड़ी गुंजाइश है।
उन्होंने असंगठित कार्यबल को संगठित दायरे में लाने की जरूरत पर भी बल दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘आप जो भी प्रसंस्करण करते हैं, वह आखिर में लाखों किसानों से आता है। इसलिए जब भी हम मूल्यवर्धन करते हैं, तो उसका एक हिस्सा किसानों को जाता है। इसलिए ग्रामीण खुशहाली के लिए, यह ज़रूरी है कि हम प्रसंस्करण का स्तर बढ़ाएं। हम अपने खाने का मुश्किल से 12 प्रतिशत ही प्रस्ंस्करण करते हैं।’’
सचिव ने बताया कि कुल कृषि उत्पादों के निर्यात में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थो का हिस्सा वर्ष 2014-15 में 11 प्रतिशत था जो अब बढ़कर 22 प्रतिशत हो गया है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 तक यह हिस्सा 30-32 प्रतिशत तक पहुंच सकता है क्योंकि खाद्य प्रस्ंस्करण क्षेत्र में बढ़ने की ‘‘असीमित संभावना’’ है।
श्रम संहिता के बारे में बात करते हुए जोशी ने कहा कि यह सुधार बहुत समावेशी है और इससे श्रम-सघनता वाले खाद्य प्रस्ंस्करण क्षेत्र को फ़ायदा होगा।
उन्होंने कहा कि श्रम संहिता ‘‘कामगार अनुकूल, उद्योग अनुकूल और कुल मिलाकर, यह विकास अनुकूल है।’’
भाषा राजेश राजेश प्रेम
प्रेम

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