अमेरिका-इंडोनेशिया व्यापार समझौता दबाव की रणनीति के जोखिम को दर्शाता है, भारत सर्तक रहे:जीटीआरआई

अमेरिका-इंडोनेशिया व्यापार समझौता दबाव की रणनीति के जोखिम को दर्शाता है, भारत सर्तक रहे:जीटीआरआई

अमेरिका-इंडोनेशिया व्यापार समझौता दबाव की रणनीति के जोखिम को दर्शाता है, भारत सर्तक रहे:जीटीआरआई
Modified Date: July 23, 2025 / 01:57 pm IST
Published Date: July 23, 2025 1:57 pm IST

नयी दिल्ली, 23 जुलाई (भाषा) अमेरिका-इंडोनेशिया व्यापार समझौता दर्शाता है कि कैसे अमेरिका की दबाव की रणनीति देशों को शुल्क में कटौती करने, बड़ी खरीद करने और नियामक नियंत्रण में ढील देने के लिए मजबूर कर सकती है। ऐसे में भारत को इसी तरह की रियायतें देने से बचने के लिए जारी व्यापार वार्ता में सावधानी से कदम उठाना चाहिए। आर्थिक शोध संस्थान जीटीआरआई ने बुधवार को यह बात कही।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि इंडोनेशिया ने जितना हासिल किया, उससे कहीं अधिक गंवा दिया है। उसने अमेरिकी वस्तुओं पर 99 प्रतिशत शुल्क हटा दिया, 22.7 अरब अमेरिकी डॉलर के अमेरिकी उत्पाद खरीदने पर सहमति व्यक्त की और अपने उद्योगों, खाद्य सुरक्षा एवं डिजिटल क्षेत्र की रक्षा करने वाले महत्वपूर्ण नियमों में ढील दी है।

जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ भारत को अब अमेरिका से इसी तरह की मांगों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें पुनः निर्मित वस्तुओं की अनुमति देना, कृषि एवं दुग्ध क्षेत्र को खोलना, आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) पशु आहार स्वीकार करना और डिजिटल व्यापार एवं उत्पाद मानकों पर अमेरिकी नियमों को अपनाना शामिल है।’’

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उन्होंने कहा कि पारस्परिकता की किसी गारंटी के बिना कार, चिकित्सकीय उपकरणों या खाद्य पदार्थों पर अमेरिकी मानकों को स्वीकार करने से भारत के उपभोक्ताओं को खतरा होगा।

श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ डिजिटल व्यापार के नाम पर डेटा का नियंत्रण सौंपने से विदेशी कंपनियों को भारत के डिजिटल भविष्य पर नियंत्रण मिल जाएगा। भारत को सतर्क रहना होगा। कोई भी व्यापार समझौता लागत और लाभ के स्पष्ट, सार्वजनिक आकलन पर आधारित होना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि विशेष रूप से खाद्य, स्वास्थ्य, डिजिटल एवं बौद्धिक संपदा (आईपी) जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में रियायतें निष्पक्ष, पारस्परिक एवं भारत की विकास आवश्यकताओं के अनुरूप होनी चाहिए।

जीटीआरआई के संस्थापक ने कहा, ‘‘ अन्यथा, भारत के लिए अल्पकालिक लाभ के लिए दीर्घकालिक नियंत्रण छोड़ने का जोखिम हो सकता है। यह एक ऐसा निर्णय होगा जिसका उसे बाद में पछतावा हो सकता है।’’

भारत और अमेरिका एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। अब तक पांच दौर की वार्ता पूरी हो चुकी है, और छठा दौर अगले महीने यहां होगा। दोनों पक्ष एक अगस्त से पहले एक अंतरिम समझौते को अंतिम रूप देने की कोशिश कर रहे हैं, जो अमेरिका के निलंबित शुल्क को लागू करने की तारीख है।

भाषा निहारिका नरेश

नरेश


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