नयी दिल्ली, 14 फरवरी (भाषा) अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा से भारत और अमेरिका के बीच अनिश्चित व्यापार माहौल उत्पन्न हो गया है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि प्रमुख व्यापार समझौते की योजना से दोतरफा वाणिज्य को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है।
उन्होंने कहा कि भारत को घरेलू उद्योगों की सुरक्षा और अमेरिका को निर्यात बढ़ाने के लिए सावधानी से कदम उठाने चाहिए।
वाशिंगटन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ वार्ता के बाद ट्रंप ने घोषणा की है कि भारत व्यापार घाटे को कम करने के लिए अमेरिका से अधिक तेल, गैस तथा सैन्य उपकरण खरीदेगा, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि अमेरिका, भारत पर जवाबी शुल्क से परहेज नहीं करेगा।
आर्थिक शोध संस्थान ‘ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव’ (जीटीआरआई) ने कहा कि दोनों नेताओं ने जल्द व्यापार समझौता करने के बारे में बात की, लेकिन इसका विवरण अब भी स्पष्ट नहीं है।
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि जवाबी शुल्क विशिष्ट उत्पादों या समूचे क्षेत्रों पर लागू होगा…।
भारतीय निर्यात संगठनों का महासंघ (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि भारत को घरेलू उद्योगों की सुरक्षा तथा लक्षित कूटनीति के जरिये अमेरिका को निर्यात बढ़ाने के बीच संतुलन बनाना होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें प्रमुख क्षेत्रों के लिए छूट पर बातचीत करनी चाहिए तथा अमेरिकी वस्तुओं पर हाल में शुल्क रियायतों को लाभ के रूप में उजागर करना चाहिए। एक सीमित तरजीही व्यापार समझौता पूर्ण पैमाने पर एफटीए (मुक्त व्यापार समझौता) की आवश्यकता के बिना शुल्क संबंधी चिंताओं को और कम कर सकता है।’’
व्यापार नीति विशेषज्ञ अभिजीत दास ने कहा कि जवाबी शुल्कों की घोषणा से दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों में अनिश्चितता उत्पन्न हो गई है और ये शुल्क वास्तव में डब्ल्यूटीओ (विश्व व्यापार संगठन) की नियम पुस्तिका को तार-तार कर देंगे।
दास ने कहा, ‘‘जवाबी शुल्क एक अत्यधिक समस्याग्रस्त मुद्दा है, क्योंकि ऐसे कई कारक हैं जिन्हें अमेरिका अपने सीमा शुल्कों पर निर्णय लेते समय ध्यान में रखेगा।’’
उन्होंने कहा कि सीमा शुल्क उनमें से एक कारक है।
इसी तरह के विचार साझा करते हुए, अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ विश्वजीत धर ने कहा कि जवाबी शुल्क लगाने से ट्रंप प्रशासन भारत को कृषि जैसे क्षेत्रों पर शुल्क कम करने के लिए मजबूर कर सकता है, अन्यथा अमेरिका भारतीय वस्तुओं पर अधिक शुल्क लगा देगा।
वार्ता के बाद मोदी के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि दोनों पक्ष जल्द एक बड़ा व्यापार समझौता करने पर विचार कर रहे हैं, जबकि उन्होंने भारत द्वारा कुछ अमेरिकी उत्पादों पर लगाए गए आयात शुल्क को ‘‘बहुत अनुचित’’ और ‘‘कड़ा’’ बताया।
ट्रंप ने कहा, ‘‘भारत जो भी शुल्क लगाएगा, हम भी वही शुल्क लगाएंगे। हम भारत के साथ वैसा ही व्यवहार कर रहे हैं जैसे वह हमारे साथ कर रहा है।’’
अप्रैल-नवंबर 2024-25 में अमेरिका 82.52 अरब अमेरिकी डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार (52.89 अरब अमरीकी डॉलर का निर्यात, 29.63 अरब अमेरिकी डॉलर का आयात और 23.26 अरब अमेरिकी डॉलर का व्यापार अधिशेष) के साथ भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। 2021-24 में अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था।
भाषा निहारिका सुरभि
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