Chaitra Navratri Vrat Niyam: चैत्र नवरात्रि में व्रत के दौरान भूलकर भी न करें ये गलतियां, वरना झेलना पड़ेगा माता का प्रकोप
Chaitra Navratri Vrat Niyam: चैत्र नवरात्रि में व्रत के दौरान भूलकर भी न करें ये गलतियां, वरना झेलना पड़ेगा माता का प्रकोप

Ashadha Purnima 2024
Chaitra Navratri Vrat Niyam: सनातन धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। साल में कुल चार नवरात्रि पड़ती है। चैत्र माह की नवरात्रि इस वर्ष 9 अप्रैल से शुरू होगी। 17 अप्रैल को रामनवमी के साथ ही महापर्व का समापन होगा। इस वर्ष चैत्र का प्रतिपदा 8 अप्रैल की देर रात शुरू हो रहा है। इसलिए अगले दिन उदयातिथि को नवरात्र के पहला दिन मानकर घट (कलश) की स्थापना होगी। ज्यादातर लोग नवरात्रों का व्रत रखते हैं। व्रत रखने के साथ-साथ लोगों को कुछ बातों का ध्यान देना बेहद जरूरी होता है। आइए जानते हैं…
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घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
चैत्र प्रतिपदा मंगलवार 9 अप्रैल रात 9. 44 बजे तक है। घट स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 05.46 बजे से सुबह 9.08 बजे तक किया जा सकता है। इसके बाद सुबह 11.36 बजे से 12.24 दोपहर तक अभिजीत मुहूर्त में भी घट स्थापित करना भक्तों के लिए लाभकारी होगा।
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Chaitra Navratri Vrat Niyam: नवरात्रि का व्रत रखने वाले इन बातों का दें ध्यान
- नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना या घटस्थापना की जाती है, जो नवरात्रि के महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है और इसे प्रतिपदा तिथि पर ही किया जाता है।
- जो लोग नवरात्रि व्रत रखते हैं उन्हें प्रतिपदा तिथि से लेकर दशमी तक अखंड दीपक भी जलाना चाहिए। इतना ही नहीं नवरात्रि के सुबह व शाम प्रतिदिन मां दुर्गा की आरती भी की जाती है।
- पूजा के दौरान देवी मां के सभी अवतारों को लाल वस्त्र पहनाने और लाल फूल चढ़ाने के साथ ही भोग भी लगाने से मां दुर्गा के प्रसन्न होने की मान्यता है।
- मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि के दौरान तामसिक चीजों से दूर रहना चाहिए।
- नवरात्रि व्रत रखने वाले को झूठ, छलकट आजि जैसे विचार मन में नहीं लाने चाहिए। हमेशा सत्य बोलना चाहिए।
- नवरात्रि व्रत करने वाले भक्तों को इस दौरान शेविंग कराने या बाल कटवाने से बचना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से मां दुर्गा रुष्ट हो सकती हैं।
- अगर आप सप्तमी, अष्टमी या नवमी तिथि के दिन व्रत खोल रहे हैं तो इस दिन 9 कुंवारी कन्याओं को भोजन जरूर कराएं।
- साथ ही इस दिन माता के नाम से हवन और पूजन पूरे विधि विधान के साथ करना चाहिए।