कांग्रेस के डीएनए में तुष्टीकरण, पार्टी विपक्ष के तौर पर विफल : छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री साय
कांग्रेस के डीएनए में तुष्टीकरण, पार्टी विपक्ष के तौर पर विफल : छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री साय
रायपुर, 17 दिसंबर (भाषा) छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बुधवार को कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि देश में कई दशक तक राज करने वाली पार्टी आज विपक्ष की भूमिका के साथ भी न्याय नहीं कर पा रही है, क्योंकि तुष्टीकरण की राजनीति उनके डीएनए में है।
बुधवार को छत्तीसगढ़ विधानसभा में राष्ट्र गीत ‘वंदे मातरम्’ के 150 साल पूरे होने पर हुई खास चर्चा में भाग लेते हुए साय ने राष्ट्र गीत के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक महत्व पर जोर दिया और विपक्षी कांग्रेस पर निशाना साधा।
चर्चा शुरू करने से पहले विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह ने कहा, ‘‘आज इस सदन के लिए ऐतिहासिक दिन है। जो इस सदन में हमेशा-हमेशा के लिए याद किया जायेगा। आज हम छत्तीसगढ़ की विधानसभा की इस चर्चा में वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने पर चर्चा करने जा रहे हैं।’’
सिंह ने कहा, ‘‘वंदे मातरम केवल एक गीत नहीं है, स्वतंत्रता आंदोलन की ऊर्जा है। आजादी की लड़ाई में सेनानियों की प्रेरणा और राष्ट्र प्रेम की भावना के संचार का माध्यम भी रहा है। 1870 के दशक में महान साहित्यकार बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित गीत को 1882 में आनन्द मठ में स्थान मिला।’’
चर्चा में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री साय ने कहा, ‘‘मैंने वह दौर भी देखा है, जब वंदे मातरम् ने अपना शताब्दी वर्ष पूरा किया था। उस समय पूरे देश में आपातकाल लगा था। लोग आपातकाल का विरोध कर वंदे मातरम् के नारे लगा रहे थे, उन्हें जेलों में ठूंसा जा रहा था। होना यह चाहिए था कि वंदे मातरम् के सम्मान में उस दौर में भव्य कार्यक्रम किये जाते, सदन में चर्चा होती, लेकिन उस समय की सरकार ने तुष्टीकरण के लिए संविधान को जैसा चाहा, तोड़ा-मरोडा, अपनी सुरक्षा के लिए इसकी मनमानी व्याख्या कर दी। जिस मंत्र पर स्वतंत्रता संग्राम खड़ा हुआ, उसी मंत्र को स्वतंत्र भारत में पूर्ण राष्ट्रीय सम्मान क्यों नहीं मिला?’’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हमारा संविधान जेब में रखकर चलने वाली कोई वस्तु नहीं है, हमारा राष्ट्रगीत कोई ऐसा गीत नहीं, जिसकी पंक्तियां अपनी सुविधा से काटी जा सकें, लेकिन जब कोई पार्टी तुष्टीकरण की पट्टी आंखों पर पहन लेती है तो उसे कहीं भी न्याय नजर नहीं आता है। कांग्रेस को ऐसे वर्ग का तुष्टीकरण करना था, जिनके लिए धरती पूजनीय हो ही नहीं सकती, जिसे हम अपनी मातृभूमि कहते हैं।’’
साय ने कहा कि बंगाल की सड़कें इस बात की गवाह है कि कैसे स्वदेशी आंदोलनों के दौरान हिन्दू और मुसलमान एक साथ ‘वंदे मातरम’ का नारा लगाते हुए निकलते थे।
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अशफाक उल्ला खान ने ‘वंदे मातरम नारों के साथ अंग्रेजों का विरोध किया और देश के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी।’’
साय ने कहा, ”देश में कई दशक तक राज करने वाली पार्टी आज विपक्ष की भूमिका के साथ भी न्याय नहीं कर पा रही है। तुष्टीकरण की राजनीति उनके डीएनए में है। कुछ समय पहले अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर भी प्रतिपक्ष के लोगों ने आमंत्रण को ठुकरा दिया। जिस तरह से राम केवल हिंदू धर्म की आस्था के प्रतीक नहीं, राष्ट्र के सांस्कृतिक महानायक हैं, उसी तरह वंदे मातरम् केवल राष्ट्रगीत नहीं, वह देश की सांस्कृतिक चेतना है।’’
चर्चा में भाग लेते हुए, विपक्ष के नेता चरण दास महंत ने वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने पर चर्चा की अनुमति देने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को धन्यवाद दिया और कहा कि ऐसी चर्चाएं बिना राजनीतिक आरोपों के होनी चाहिए, क्योंकि यह गीत उन अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान का प्रतीक है जिन्होंने इसके नारों के साथ फांसी का फंदा गले लगाया था।
महंत ने दावा किया कि द्विराष्ट्र सिद्धांत का जन्म 1923 में हुआ था और वह डॉ वीडी सावरकर की किताब के कारण हुआ था।
लगभग पांच घंटे तक चली इस चर्चा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के अन्य सदस्यों ने भी हिस्सा लिया।
भाषा संजीव शफीक
शफीक

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