Bastar BJP Leaders Murder: बस्तर में दशहत में कट रहे BJP नेताओं के दिन.. अमित शाह से मांगी Z सिक्योरिटी, 9 नेताओं ने लिखे खत..
Bastar BJP Leaders Murder
बस्तर: पिछले कुछ समय से बसतर में हालात बदले हैं। नक्सली जहां अब तक सीधे पुलिस पार्टी या फिर ग्रामीणों को निशाना बनाते थे तो वही विधानसभा चुनावों के बाद यहाँ स्थानीय नेताओं को नुकसान पहुंचाया जाने लगा हैं। खासकर भाजपा नेताओं की बस्तर में हत्याओं ने न सिर्फ प्रदेश की पुलिस बल्कि बस्तर, कांकेर, सुकमा, बीजापुर. नारायणपुर और दंतेवाड़ा जैसे माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में काम कर रहे भाजपा नेताओं को भी चिंता में डाल दिया हैं। नक्सली भाजपा नेताओं को सीधे निशाने पर ले रहे हैं। यह सिलसिला नवम्बर में उस वक्त शुरू हुआ था जब विधानसभा के लिए चुनाव प्रचार अपने चरम पर था। ऐसे में अब कुछ महीनो बाद लोकसभा के चुनव भी होने हैं। जाहिर हैं नेताओं का दौरा और प्रवास होगा लेकिन भाजपा के नेताओं में नक्सली हमले का दशहत घर कर गया हैं। वे सोच में डूबे हैं कि वह इस खतरे के बीच कैसे जनसम्पर्क करेंगे, भीतर इलाको तक कैसे पहुंचेंगे?
मिली हैं X श्रेणी की सुरक्षा
इन्ही खतरों को भांपते हुए बस्तर रेंज के 9 बीजेपी लीडर्स ने केंद्रीय गृहमंत्री को खत लिखा है। सभी नेताओं ने अपने लिए जेड श्रेणी की सुरक्षा की मांग की हैं। सभी ने लगातार हो रहे टॉरगेट को लेकर गहरी चिंता जाहिर की है। हालाँकि ये वो नेता हैं जिन्हे पहले से ही X श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त हैं लेकिन अब ये नेता केंद्रीय गृह मंत्रालय से समीक्षा और अपनी सुरक्षा में अपग्रेडेशन चाहते हैं।
इससे पहले सरकार ने इन हत्याओं को लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी कार्यकर्ताओं के मन में डर पैदा करने के इरादे से किया गया कायरतापूर्ण कृत्य करार दिया था। मीडिया से बात करते हुए गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि यह कायरतापूर्ण हैं। इससे पहले भी BJP के नेताओं को निशाना बनाया गया था। वे डर पैदा करना चाहते हैं, क्योंकि लोकसभा चुनाव नजदीक है और नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी गई है। इसलिए दहशत फैलाने के लिए इस वारदात को अंजाम दिया गया है, ताकि भाजपा के कार्यकर्ता अंदरूनी क्षेत्र में न जा सके। इसलिए यह घटनाएं की जा रही हैं। कुछ भी हो, यह विष्णुदेव साय की सरकार है और हमारी प्रतिबद्धता बस्तर के हर कोने तक विकास पहुंचाने की है, जो भी ऐसी बाधाएं आएंगी, हम उन्हें दूर करेंगे। गौरतलब हैं कि एक साल के भीतर बस्तर में आधे दर्जन से ज्यादा नेताओं को निशाना बनाया जा चुका हैं।

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