Bastar News: माओवाद क्षेत्र में इतनी भीड़ की वजह जानकर हो जाएंगे आप हैरान, नक्सल प्रभावित इलाकों में हो रहा कुछ बड़ा, क्या, ये जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर…

इन दिनों स्वास्थ्य विभाग का विशेष अभियान ‘जीवन-रक्षा मिशन’ नई उम्मीद और राहत लेकर आया है।

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  • Publish Date - November 27, 2025 / 08:35 PM IST,
    Updated On - November 27, 2025 / 08:37 PM IST
HIGHLIGHTS
  • माओवादी प्रभावित दुर्गम क्षेत्रों में चल रहा ‘जीवन-रक्षा मिशन’ स्वास्थ्य अभियान।
  • विशेषज्ञ डॉक्टरों और छात्रों ने सक्रिय भागीदारी निभाई।
  • 1324 लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया।

Bastar News: बस्तर: बस्तर संभाग के माओवाद प्रभावित और बेहद कठिन भौगोलिक परिस्थितियों वाले इलाकों, नारायणपुर, सुकमा और बीजापुर में इन दिनों स्वास्थ्य विभाग का विशेष अभियान ‘जीवन-रक्षा मिशन’ नई उम्मीद और राहत लेकर आया है। सुरक्षा जोखिम, कठिन पहाड़ी मार्ग, और दूरदराज फैले ग्रामीण इलाकों के बावजूद स्वास्थ्य विभाग ने जिस साहस और समर्पण के साथ ग्रामीणों तक चिकित्सा सेवाएं पहुंचाई हैं, उसने पूरे प्रदेश में इस अभियान को विशेष पहचान दी है। यह पहल न केवल चिकित्सा सेवा तक सीमित है, बल्कि यह उन हजारों ग्रामीणों के स्वास्थ्य अधिकार को मजबूत कर रही है, जिनके गांव तक सामान्य स्वास्थ्य सुविधाएँ भी कभी नसीब नहीं हुईं।

विशेषज्ञ डॉक्टरों के साथ छात्रों ने चलाया आभियान

Bastar News: इस विशेष अभियान में रायपुर मेडिकल कॉलेज, डिमरापाल मेडिकल कॉलेज और कांकेर मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञ डॉक्टरों के साथ मेडिकल छात्रों की टीमों ने सक्रिय भागीदारी निभाई। ये टीमें कई किलोमीटर पैदल चलकर, सुरक्षा बलों के सहयोग से, घने जंगलों और दुर्गम पहाड़ियों के बीच बसे गांवों में पहुँचीं। स्वास्थ्य शिविरों के दौरान 1324 ग्रामीणों का विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा स्वास्थ्य परीक्षण और उपचार किया गया। सभी मरीजों को निःशुल्क दवाइयां, जरूरत के अनुसार रेफर सेवा और स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता प्रदान की गई।

सबसे ज्यादा चुनौतियों वाले गांवों में सफल आयोजन

Bastar News: नारायणपुर जिले के ईरकभट्टी, बेड़माकोटी, कस्तूरमेटा और कांदुलपार, सुकमा के दुलेड़ और लखापाल और बीजापुर के गूंजेपर्ती, पुतकेल, कोंडापल्ली और मुतवेंडी जैसे संवेदनशील गांवों में इन शिविरों का आयोजन किया गया। यहां अक्सर न तो सड़कें हैं, न नियमित सरकारी सेवाएं। ऐसे में स्वास्थ्य दलों का इन गांवों तक पहुंचना अपने आप में एक मिशन था।

मलेरिया, टीबी और सिकलसेल की स्क्रीनिंग पर विशेष जोर

संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं बस्तर, डॉ. महेश शांडिल्य ने बताया कि इन शिविरों का मुख्य उद्देश्य दूरस्थ और वंचित ग्रामीणों को विशेषज्ञ चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराना है, खासकर उन बीमारियों के लिए जो बस्तर क्षेत्र में ज्यादा पाई जाती हैं।
अभियान के दौरान—

  • नारायणपुर में 367
  • सुकमा में 318
  • और बीजापुर में 639 ग्रामीणों की ओपीडी जांच की गई।

इनमें 83 मलेरिया पॉजिटिव मामले मिले जिनका तुरंत इलाज प्रारंभ किया गया।
इसके अलावा—

  • 207 ग्रामीणों की टीबी जांच
  • 464 ग्रामीणों की सिकलसेल एवं एनीमिया स्क्रीनिंग
  • 212 ग्रामीणों की नेत्र जांच
  • और 129 ग्रामीणों के नये आयुष्मान कार्ड बनाए गए।

उपमुख्यमंत्री ने की स्वास्थ्य दलों की सराहना

उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने इस अभियान को अत्यंत चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में सफलता से संपन्न करने के लिए स्वास्थ्य अमले और सुरक्षा बलों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि शासन का उद्देश्य बस्तर के अंतिम छोर में रहने वाले हर व्यक्ति तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं पहुँचाना है, और ‘जीवन-रक्षा मिशन’ इस संकल्प को मजबूत बनाता है।

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जीवन-रक्षा मिशन क्या है?

यह बस्तर के दुर्गम और माओवादी प्रभावित क्षेत्रों में ग्रामीणों को विशेषज्ञ स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने का अभियान है।

किस-किस जिले में स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए गए?

नारायणपुर, सुकमा और बीजापुर के सबसे दुर्गम इलाकों में शिविर आयोजित किए गए।

कितने ग्रामीणों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया?

कुल 1324 ग्रामीणों का स्वास्थ्य परीक्षण और उपचार किया गया।