Railway Loco Pilot Protest: कौन सुनेगा लोको पायलटों की पीड़ा?.. 9 घंटे की जगह 11-12 घंटे तक ट्रेन चलाने पर मजबूर है रेलवे का यह रनिंग स्टाफ..
कर्मचारी ड्यूटी पूरी करने के बाद प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि ट्रेन सेवाएं प्रभावित न हों। हालांकि, उनकी शिकायत है कि लंबे समय से चली आ रही समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, जिससे वे आंदोलन करने को मजबूर हुए हैं।
Bilaspur Railway Loco Pilot Protest || Image- IBC24 News File
- लोको पायलटों की 36 घंटे की भूख हड़ताल, ट्रेनों का संचालन जारी, मांगों पर अड़े कर्मचारी
- SECR में 4000 पदों की भर्ती की मांग, रनिंग स्टाफ को रिस्क अलाउंस देने की अपील
- 12-15 घंटे की ड्यूटी से परेशान कर्मचारी, ड्यूटी शेड्यूल सुधारने को लेकर प्रदर्शन तेज
Bilaspur Railway Loco Pilot Protest : बिलासपुर: डिवीजन के पेंड्रा रोड में लोको पायलट और रनिंग स्टाफ ने अपनी मांगों को लेकर अनोखा प्रदर्शन शुरू किया है। कर्मचारी 21 फरवरी तक 36 घंटे की भूख हड़ताल कर रहे हैं। इस दौरान वे बिना भोजन किए भी ट्रेनों का संचालन कर रहे हैं। पेंड्रा रोड लॉबी के करीब 250 कर्मचारी इस प्रदर्शन में शामिल हैं।
क्या हैं कर्मचारियों की मांगें?
AILRSA संगठन के शाखा अध्यक्ष संजीव कुमार के अनुसार, रेलवे प्रशासन लंबे समय से उनकी जायज मांगों की अनदेखी कर रहा है। कर्मचारियों की प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:
- SECR में लोको पायलट के 4000 रिक्त पदों पर तत्काल भर्ती की जाए।
- साप्ताहिक विश्राम 46 घंटे (16+30) किया जाए।
- साइन ऑन से साइन ऑफ तक ड्यूटी की अवधि 9 घंटे सुनिश्चित की जाए।
- दो लगातार नाइट ड्यूटी के बाद पूर्ण रात्रि विश्राम दिया जाए।
- सहायक लोको पायलट को रिस्क अलाउंस प्रदान किया जाए।
क्या हैं कर्मचारियों की समस्याएं?
Bilaspur Railway Loco Pilot Protest : कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें 12 से 15 घंटे तक लगातार काम करना पड़ता है, लेकिन प्रशासनिक दबाव में ड्यूटी को दो भागों में दिखाया जा रहा है। जनवरी 2024 से अन्य केंद्रीय कर्मचारियों के यात्रा भत्ते (TA) में वृद्धि हुई है, लेकिन रनिंग स्टाफ के किलोमीटर अलाउंस में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई।
कर्मचारी ड्यूटी पूरी करने के बाद प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि ट्रेन सेवाएं प्रभावित न हों। हालांकि, उनकी शिकायत है कि लंबे समय से चली आ रही समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, जिससे वे आंदोलन करने को मजबूर हुए हैं।

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