रायपुर। bjp chintan shivir bastar : साल 2023 विधानसभा चुनाव से पहले हर दल आदिवासी बहुल बस्तर पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है…भाजपा बस्तर में 3 दिवसीय चिंतन शिविर कर, सरकार पर धर्मांतरण और अधूरे विकास को लेकर निशाना साध रही है…तो सत्तापक्ष के मुताबिक भाजपा का ये दिखावा केवल वोटबैंक के लिए है…कांग्रेस का दावा है कि बस्तर के विकास के लिए सरकार ने कम वक्त में ही कई योजनाएं और कदम उठाए हैं…बस्तर किसका साथ देगा ये तो बाद में तय होगा…फिलहाल सवाल ये है कि क्या भाजपा चिंतन शिविर के जरिए बस्तर के आदिवासियों को साधने की सही रणनीति बना पाएगी…?
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bjp chintan shivir bastar : प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर में भाजपा के चिंतन शिविर पर कटाक्ष करते हुए भाजपा को उनका 15 साल का शासनकाल याद दिलाया और धर्मांतरण पर मुद्दे पर मुखर होते विपक्ष पर जमकर पटलवार किया… दरअसल, इन दिनों छत्तीसगढ़ में सत्ता वापसी के लिए विपक्षी दल भाजपा धर्मांतरण समेत सरकार को अधूरे वायदे याद दिलाकर सक्रिय नजर आ रही है…भाजपा 2023 की तैयारी की शुरूआत इन दिनों बस्तर में चिंतन शिविर से कर रही है….वजह है राज्य की 29 ST यानि आदिवासी बहुल विधानसभा सीटें…जिस भी दल को आदिवासी सीटों पर समर्थन मिलेगा वो छत्तीसगढ़ में सत्ता के करीब पहुंचेगा…
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2003 में भाजपा को अनुसूचित जनजाति की 23 विधानसभा सीटों पर जीत मिली थी…जबकि 2008 में भाजपा को 19 सीटें मिली…फिर 2013 में भाजपा 11 सीटों पर जीत सकी…वहीं 2018 में कांग्रेस ने अनुसूचित जनजाति संबंधित 29 में से 27 विधानसभा सीटों पर ऐतिहासिक जीत दर्ज कर प्रदेश में सत्ता हासिल की…बड़ी बात ये कि आदिवासी सीटों का बड़ा हिस्सा बस्तर में है…बस्तर की 12 विधानसभा सीटों में से 11 सीटें ST आरक्षित हैं…जहां पहले भाजपा का दबदबा हुआ करता था लेकिन मौजूदा वक्त में बस्तर की 12 की 12 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस काबिज है….
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भाजपा की सबसे बड़ी चिंता इसी बात की है कि वो बस्तर में अपना दबदबा फिर से कायम करना चाहती है…इसी मक्सद से पार्टी ने तीन दिवसीय चिंतन शिविर की शुरुआत बस्तर से की…चिंतन शिविर में छत्तीसगढ़ भाजपा के सभी कद्दावर नेताओं के साथ-साथ भाजपा प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी शामिल हुई…चिंतन शिविर में भाजपा ने मौजूदा दौर में बस्तर में धर्मांतरण को गंभीर मुद्दा बताते हुए सरकार को घेरा…भाजपा प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा कि राज्य सरकार पर आदिवासी क्षेत्रों में विकास पर कोई ध्यान नहीं है…वहीं चिंतन शिविर पर कांग्रेस नेताओं का पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा को 15 साल तक आदिवासियों की चिंता नहीं हुई और आज सत्ता वापसी के लिए फिर से बस्तर में शिविर आयोजित करने का दिखावा कर रही है…
साफ है कि सत्ता हासिल करने के लिए बस्तर का साथ बेहद जरूरी ही तभी कांग्रेस ने प्रदेश विकास को देश तक पहुंचाने के लिए राहुल गांधी के प्रस्तावित दौरे की शुरूआत बस्तर से रखी है तो भाजपा 2018 की करारी हार के बाद….2023 में सत्ता वापसी के लिए बस्तर से ही चिंतन-मनन कर रणनीति बनाने में जुटी है…सत्तासीन कांग्रेस का जमीन वापसी, तेंदूपत्ता की रुपए 4000 प्रति मानक बोरा खऱीदी, 52 प्रकार की लघु वनोपज की न्यूनतम मूल्य पर खरीदी जैसे फैसलों के जरिए बस्तर के विकास पर फोकस है तो भाजपा धर्मांतरण और आदिवासी अधिकारों के मद्दे पर बस्तर का साथ चाहती है…सवाल ये कि किसकी रणनीति ज्यादा कारगर रहेगी…उससे भी बड़ा सवाल ये कि अपने अधिकारों को लेकर लामबंद होता बस्तर का आदिवासी किसे समर्थऩ देगा…।
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