MMC पर निर्णायक प्रहार | लाल गैंग का बचना मुश्किल !
MMC पर निर्णायक प्रहार | लाल गैंग का बचना मुश्किल ! Breakthrough on MMC | It is difficult to escape the red gang!
रायपुरः महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ की सीमा पर हुई मुठभेड़ में मारे गए माओवादियों में बड़ी संख्या में छत्तीसगढ़ के नक्सली भी शामिल है। बताया जा रहा है कि बीजापुर, सुकमा और दूसरे इलाकों से कुल 12 नक्सली जो मूल रूप से बस्तर के रहने वाले हैं। मुठभेड़ में ढेर हुए हैं, लेकिन मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ जोनल कमेटी के प्रमुख मिलिंद तेलतुंबड़े के मारे जाने से नक्सलियों को बड़ा झटका लगा है। तेलतुंबड़े की अगुवाई में माओवादी लंबे समय से एमएमसी जोन का विस्तार करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन फोर्स को मिली बड़ी कामयाबी से नक्सलियों की ताकत कमजोर जरूर होगी। साथ ही एक उम्मीद भी कि अब लाल आतंक के दिन गिनती के रह गए हैं।
बीते शनिवार को लाल मोर्चे से सामने आई दो तस्वीरों ने नक्सलियों को बड़ा झटका लगा है। झारखंड के जमशेदपुर से 1 करोड़ के इनामी नक्सल कमांडर प्रशांत बोस की गिरफ्तारी के कुछ घंटे बाद ही महाराष्ट्र पुलिस ने छत्तीसगढ़ की सीमा में घुसकर MMC यानी मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ जोन के प्रमुख दीपक उर्फ मिलिंद तेलतुंबड़े सहित 26 बड़े नक्सलियों को मार गिराया। इन सभी नक्सलियों पर कुल डेढ़ करोड़ का इनाम था। गढ़चिरौली के जंगल में हुए मुठभेड़ में करीब 6 किलोमीटर लंबे एंबुश में अलग-अलग जगहों पर फोर्स ने नक्सलियों की घेराबंदी कर उन्हें ढेर किया। मौके पर बड़ी संख्या में हथियार भी बरामद किए गए।
महज कुछ घंटों के अंतराल में मिली दो बड़ी कामयाबी जाहिर तौर पर फोर्स के मनोबल को ऊंचा करेगी। आशंका जताई जा रही है कि राजनांदगांव के इलाके में ये किसी मुठभेड़ के फिराक में थे। दरअसल लंबे समय से नक्सली अपने बेस को MMC जोन में शिफ्ट करने में लगे थे। नए जोन में मध्यप्रदेश के बड़े जंगल, नेशनल पार्क के साथ ही महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ का सीमावर्ती इलाकों को शामिल किया गया था। बस्तर में दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के बाद एमएमसी जोनल कमेटी छत्तीसगढ़ में दूसरा बड़ा संगठन बन रहा था। आने वाले दिनों ये जोन नक्सलियों का सबसे सुरक्षित पनाहगाह साबित होता, लेकिन महाराष्ट्र पुलिस इंटेलिजेंस ने इनके मंसूबों पर पानी फेर दिया।
लाल गढ़ में माओवादियों पर फोर्स का दबाव जिस तरह से लगातार बढ़ा है। उसके चलते नक्सलियों के पांव उखड़े हैं। नक्सलियों के बड़े लीडर बस्तर में अब पहले जैसी आज़ादी से अपनी गतिविधियों नहीं चला पा रहे हैं। उनके अंदर दबाव और डर लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में बस्तर जैसे लिब्रेटेड जोन से नक्सली पलायन करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। हालांकि नक्सलवाद के मुद्दे पर बीजेपी-कांग्रेस दलील कुछ ओर ही है।
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कुल मिलाकर गढ़चिरौली में एमएमपी जोन के प्रमुख मिंलिंद तेलतुंबड़े के ढेर होने के बाद नक्सली अब और बैकफुट पर चले जाएंगे, लेकिन सच ये भी है कि कमजोर दिखने वाले नक्सली हर बार दोगुनी ताकत से फोर्स पर वार करते हैं। बहरहाल इस मुठभेड़ में छत्तीसगढ़ से और कौन-कौन बड़े माओवादी मारे गए हैं इसकी अपडेट करने में पुलिस जुटी है। बहरहाल एक साथ 26 बड़े नक्सलियों के ढेर होने के बाद लाल गलियारा एक बार फिर गर्म है।

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