छत्तीसगढ़: कांग्रेस ने आदिवासी क्षेत्रों में खनन के लिए बड़े पैमाने पर वनों की कटाई का आरोप लगाया
छत्तीसगढ़: कांग्रेस ने आदिवासी क्षेत्रों में खनन के लिए बड़े पैमाने पर वनों की कटाई का आरोप लगाया
रायपुर, 16 दिसंबर (भाषा) छत्तीसगढ़ विधानसभा में मंगलवार को मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के विधायकों ने आरोप लगाया कि राज्य में, खासकर आदिवासी-बहुल सरगुजा और बस्तर संभागों में बड़े पैमाने पर जंगल काटे जा रहे हैं, जिससे आदिवासी और वन्यजीव बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं।
विपक्ष ने इस विषय पर कार्य स्थगन प्रस्ताव के जरिए चर्चा कराने की मांग की और जब विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह ने इसे अस्वीकार कर दिया तब कांग्रेसी विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया और सदन के बीचो बीच पहुंच गए जिसके कारण उन्हें निलंबित कर दिया गया।
सदन में आज शून्यकाल के दौरान विपक्ष के नेता चरण दास महंत, विधायक उमेश पटेल और कांग्रेस के अन्य सदस्यों ने इस मुद्दे पर कार्य स्थगन प्रस्ताव का नोटिस पेश किया और दावा किया कि सरगुजा, हसदेव अरण्य कोयला क्षेत्र, तमनार और बस्तर जैसे क्षेत्रों में बड़े विरोध प्रदर्शन हुए और सड़कें जाम की गईं।
उन्होंने आरोप लगाया कि कोयला खदानों को मंजूरी फर्जी जनसुनवाई के आधार पर दी गई है।
कांग्रेस विधायकों ने सवाल उठाया कि क्या विष्णु देव साय के नेतृत्व वाली सरकार छत्तीसगढ़ और इसके लोगों के कल्याण के लिए काम कर रही है या वनों और आजीविका की कीमत पर उद्योगपतियों और पूंजीपतियों के फायदे के लिए।
विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह ने सदन में उनके स्थगन प्रस्ताव नोटिस को पढ़कर सुनाया।
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि रायगढ़ जिले के तमनार क्षेत्र में वनों की कटाई हो रही है, जहां कथित तौर पर वन और राजस्व भूमि पर पेड़ों की बड़े पैमाने पर कटाई की जा रही है।
उन्होंने दावा किया कि 61 ग्राम पंचायतों के सरपंचों ने रायगढ़ कलेक्टर से संपर्क कर कोयला खदानों को मंजूरी देने के लिए फर्जी जनसुनवाई आयोजित करके फर्जी ग्राम सभा बनाने के कथित कृत्यों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।
विपक्ष ने आरोप लगाया कि हसदेव अरण्य में वनों की कटाई से पहले ही लाखों पेड़ों का नुकसान हो चुका है, जिससे जैव विविधता, जल संसाधन और हाथी गलियारे खतरे में पड़ गए हैं, और इससे मानव-हाथी संघर्ष व पानी की कमी बढ़ सकती है। हसदेव अरण्य को अक्सर ‘छत्तीसगढ़ का फेफड़ा’ कहा जाता है।
कांग्रेस ने कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर के आरीडोंगरी क्षेत्र में भी पेड़ काटने के संबंध में इसी तरह के आरोप लगाए।
इन आरोपों का जवाब देते हुए, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि विष्णु देव साय सरकार वनों, वन्यजीवों, आदिवासियों और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील है और उनकी सुरक्षा और संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने देहरादून स्थित भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) का हवाला देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के वन क्षेत्र में 94.75 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है, जबकि ‘वनों के बाहर पेड़ों’ के क्षेत्र में 702 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है, जो देश में सबसे अधिक है।
कश्यप ने दावा किया कि पिछले दो वर्षों में, वन (संरक्षण) अधिनियम के तहत नियमों के अनुसार और केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद, 1,300.8 हेक्टेयर वन भूमि को खनन कार्य के लिए उपयोग करने की अनुमति दी गई।
उन्होंने फर्जी जनसुनवाई, विरोध प्रदर्शन और लाठीचार्ज के दावों को खारिज कर दिया।
कश्यप ने कहा कि वन भूमि के उपयोग के सभी मामलों में क्षतिपूरक वनीकरण किया जा रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि जीवों पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने के लिए प्रत्येक खनन परियोजना के लिए अलग से वन्यजीव संरक्षण योजनाएं तैयार की गईं।
तमनार में बड़े पैमाने पर वृक्षों की अवैध कटाई के आरोपों का खंडन करते हुए मंत्री ने कहा कि मानदंडों के अनुसार केवल दो (कोयला खदान) परियोजनाओं के लिए 6,650 पेड़ काटे गए थे और ग्राम सभा की बैठकें नियमों के अनुसार आयोजित की गईं थीं।
मंत्री ने कहा, ”यह कहना सही नहीं है कि सरकार की कार्रवाई वन अधिकार अधिनियम (एफआरए), जनसुनवाई मानदंडों या राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेशों का उल्लंघन करती है। वन भूमि उपयोग की प्रक्रिया कलेक्टर से वन अधिकार अधिनियम की अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद ही पूरी की गई थी, और पेड़ काटने की अनुमति नियमों का कड़ाई से पालन करते हुए दी गई थी।”
मंत्री ने भानुप्रतापपुर के आरीडोंगरी में अंधाधुंध पेड़ कटाई के आरोपों को भी खारिज कर दिया और कहा कि 2008 और 2015 में वन संरक्षण अधिनियम के तहत गोदावरी पावर एंड इस्पात के पक्ष में 138.960 हेक्टेयर वन भूमि के उपयोग को मंजूरी मिलने के बाद, अधिनियम के प्रावधानों और स्वीकृत खनन योजना के अनुसार, आवेदक कंपनी से प्राप्त आवेदन के आधार पर 28,922 पेड़ काटे गए।
मंत्री के जवाब के बाद, अध्यक्ष ने कार्य स्थगन प्रस्ताव नोटिस को अस्वीकार कर दिया, जिसके बाद कांग्रेस सदस्यों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी।
इसके बाद, वे सदन के बीचो-बीच आ गए, जिसके बाद अध्यक्ष ने कांग्रेस के 30 सदस्यों के निलंबन की घोषणा की। हालांकि, कुछ समय के बाद, अध्यक्ष द्वारा उनका निलंबन रद्द कर दिया गया।
भाषा संजीव नोमान
नोमान

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