महंगी बिजली…लगा करंट! बिजली कंपनियों को होने वाले नुकसान का हर बार जनता ही क्यों उठाए खामियाजा?

महंगी बिजली...लगा करंट! Expensive electricity... Why should the public bear the brunt every time for the loss caused to the power companies?

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  • Publish Date - August 2, 2021 / 11:42 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:41 PM IST

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Electricity bill News Cg

रायपुर : छत्तीसगढ़ की जनता को अगस्त से बिजली के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी। राज्य विद्युत नियामक आयोग ने बिजली के दाम 6 फीसदी बढ़ा दिए हैं। राज्य में कांग्रेस सरकार बनने के बाद ये पहली बार है जब बिजली की दरों में बढ़ोतरी की गई है। बिजली की कीमतें बढ़ने पर प्रदेश की सियासत भी गर्मा गई है। बीजेपी और कांग्रेस इसके लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

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Electricity bill News Cg : विपक्ष में रहते जो कांग्रेस महंगी बिजली पर बीजेपी सरकार को जमकर घेरती थी, लेकिन अब उसने भी बिजली मंहगी कर दी है। प्रदेश की जनता को 1 अगस्त से बिजली के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी। दरअसल छत्तीसगढ़ में बिजली वितरण कंपनियों ने खुद को 6 हजार करोड़ रुपए के घाटे में बताकर इस साल बिजली दर बढ़ाने की मांग की थी। जनसुनवाई के बाद राज्य नियामक आयोग ने नुकसान को लगभग 941 करोड़ रुपए का मानते हुए बिजली की दरों में लगभग 6 फीसदी वृद्धि दर को मंजूरी दी है। नियामक आयोग के फैसले के बाद अब प्रदेश में अलग अलग वर्ग के उपभोक्ताओं को बिजली की बढ़ी हुई कीमतें चुकानी होंगी।

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आयोग के मुताबिक…घरों तक बिजली पहुंचाने का औसत खर्च 5 रुपए 93 पैसे प्रति यूनिट था, जो अब बढ़कर लगभग 6 रुपए 41 पैसे पर आ रहा है। लिहाजा प्रति यूनिट करीब 37 पैसे की बढ़ोतरी का आदेश दिया है। घरेलू उपभोक्ताओं के लिए भी नई स्लैब का निर्धारण किया गया है, अब 0 से 100 यूनिट तक प्रति यूनिट 3.60 रुपए देने होंगे। वहीं 101 से 200 यूनिट तक 3.80 रुपए प्रति यूनिट चुकानी होगी। इसी तरह 201 से 400 यूनिट तक 5.20 रुपए प्रति यूनिट चार्ज, जबकि 401 से 600 यूनिट तक प्रति यूनिट 6.20 रुपए चुकानी होगी और 601 से ज्यादा खपत होने पर 7.80 रुपए प्रति यूनिट चार्ज लगेगा। नियामक आयोग के मुताबिक तीन साल से बिजली की दर में बढ़ोतरी नहीं हुई है। इसलिए नुकसान की भरपाई के लिये बिजली की दर बढ़ाया जाना बहुत जरुरी था।

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बिजली दर बढ़ाने के साथ ही नियामक आयोग ने हर वर्ग के उपभोक्ताओं को छूट भी दी है। घरेलू उपभोक्ताओं की अगर बात करें तो उन्हे लगने वाले फिक्स्ड चार्ज जो खपत के आधार पर लगता था, उसे अब लोड फैक्टर के साथ टेलिस्कोपिक दर पर लिया जाएगा। वहीं, कृषि क्षेत्र की बात करें तो गैर सब्सिडी वाले कृषि पंपो पर लगने वाले उर्जा प्रभार में दी जाने वाली छूट को 10 से बढाकर 20 प्रतिशत किया गया है। जबकि स्टील सेक्टर को भी बड़ी रियायत देते हुए लोड फैक्टर इंसेंटिव को 63-70 प्रतिशत की सीमा को बदलते हुए उसे 50-74 फीसदी कर दिया है।

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बिजली के बढ़ी कीमतों पर सियासत का तेज हो गई है। पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने सरकार को घेरते हुए कहा कि प्रदेश की जनता को लूटने का काम बघेल सरकार कर रही है। कोरोना काल में पहले से लोगों की आर्थिक स्थिति खराब है। ऐसे में 6 फीसदी बिजली दर बढ़ाना अन्याय है। वहीं कांग्रेस नेता शैलेष नितिन त्रिवेदी सरकार के बचाव में तर्क दे रहे हैं कि केंद्र सरकार के पेट्रोल-डीजल के रेट बढ़ाने से बिजली महंगी हुई है।

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सियासी आरोपों और प्रत्यारोपों के बीच सबसे अहम सवाल यही है कि बिजली कंपनियों को होने वाले नुकसान का खामियाजा हर बार जनता ही क्यों उठाए? सवाल तो कई हैं लेकिन हकीकत यही है अब छत्तीसगढ़ की जनता को पहले से अधिक करंट लगने वाला है।

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