Mukesh Chandrakar Murder Case Update: अब तक नहीं मिला मुकेश चंद्राकर का मोबाइल, SIT की टीम एक बार फिर पहुंची घटनास्थल, इन पहलुओं को लेकर की जांच

अब तक नहीं मिला मुकेश चंद्राकर का मोबाइल, Journalist Mukesh Chandrakar's mobile phone has not been found yet

Mukesh Chandrakar Murder Case Update: अब तक नहीं मिला मुकेश चंद्राकर का मोबाइल, SIT की टीम एक बार फिर पहुंची घटनास्थल, इन पहलुओं को लेकर की जांच

Journalist Mukesh Chandrakar

Modified Date: January 8, 2025 / 03:12 pm IST
Published Date: January 8, 2025 1:49 pm IST

बीजापुरः Journalist Mukesh Chandrakar छत्तीसगढ़ के बीजापुर में हुए पत्रकार मुकेश चंद्राकर हत्याकांड को लेकर जांच जारी है। सरकार की ओर से गठित SIT की टीम एक बार फिर घटनास्थल पर पहुंची। बाड़ा के रूम नंबर 11 के सेप्टिक टैंक में छानबीन की गई। सेप्टिक टैंक के ऊपर से लेंटर को निकाल टीम से तफ्तीश की। मृतक मुकेश का मोबाइल अभी तक हाथ नहीं लगा है। फिलहाल SIT की टीम ने रूम नंबर 11 को सील कर दिया है।

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Journalist Mukesh Chandrakar बता दें कि पत्रकार मुकेश चंद्राकर 1 जनवरी 2025 को शाम 7 बजे से घर से लापता थे। अगले दिन 2 जनवरी को उनके भाई युकेश ने रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस लगातार मुकेश का फोन ट्रेस कर रही थी। फोन बंद था, लेकिन लास्ट लोकेशन आसपास दिख रही थी। CCTV फुटेज भी खंगाले गए, जिसमें अंतिम बार मुकेश टी-शर्ट और शॉर्ट्स में दिखे। इधर, पत्रकारों ने भी अलग-अलग जगह पता किया। Gmail लोकेशन के जरिए लोकेशन ट्रेस की गई, जिसमें मुकेश की लास्ट लोकेशन बीजापुर के चट्टानपारा में दिखी। पुलिस ने इसी के आधार पर जांच की। शुक्रवार को तलाशी के दौरान रितेश चंद्राकर ​​​​​​का फार्म हाउस दिखा। यहां बैडमिंटन कोर्ट है। जब पत्रकार पुलिस के साथ लोकेशन पर पहुंचे, तो पुरानी सैप्टिक टैंक में कुछ नया कांक्रीट किया हुआ दिखा। इससे पत्रकारों को शक हुआ और इसे तोड़ा गया। इसके बाद मुकेश की लाश सैप्टिक टैंक से ही मिली।​​​​​​ इस मामले में पुलिस ने तीन आरोपी को हत्या का खुलासा होने के एक दिन बाद गिरफ्तार कर लिया था। उसके बाद मुख्य आरोपी सुरेश चंद्राकर को हैदराबाद से गिरफ्तार किया था।

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बता दें कि बैडमिंटन कोर्ट परिसर सुरेश और उसके भाइयों का अय्याशी का अड्डा था। यहां तीनों भाई शराब खोरी किया करते थे। कैंपस में शराब की बोतलों के ढेर मिले हैं। अंदर बाड़े में किसी को घुसने नहीं दिया जाता था। यहां वही जाता था जिन्हें सुरेश, दिनेश या फिर रितेश लेकर आते थे। सुरेश बैडमिंटन कोर्ट परिसर में मौजूद करीब 10 से 12 कमरों को स्टोर रूम बनाकर रखा था। आस-पास सैकड़ों घर भी हैं।

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लेखक के बारे में

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