Khairagarh news: गीतों के दम पर देश-दुनिया में नाम कमाने वाले लोक कलाकार का निधन, गोद लिए पुत्र ने दी मुखाग्नि
गीतों के दम पर देश-दुनिया में नाम कमाने वाले लोक कलाकार का निधन, गोद लिए पुत्र ने दी मुखाग्नि Folk artist Dhurwa Ram Markam merged with Panchatatva
Folk artist Dhurwa Ram Markam merged with Panchatatva
Folk artist Dhurwa Ram Markam merged with Panchatatva: खैरागढ़। गंडई के टिकरीपारा वार्ड क्रमांक 12 निवासी छत्तीसगढ़ के लोक कलाकार धुरवा राम मरकाम ने आज रविवार तड़के सुबह 7:00 बजे अपने नवनिर्मित मकान में अंतिम सांस ली। वह लगभग 71 वर्ष के थे। वह अपने पीछे 7 बेटियों से भरा पूरा परिवार छोड़ गए। मृतक कलाकार धुरवाराम मरकाम के सात बेटियां है एक भी पुत्र नही होने के चलते अपने छोटे भाई राजू मरकाम के दिव्यांग पुत्र जिसको धुरवा राम मरकाम ने गोदनामा लिया था उन्होंने अंतिम संस्कार में मुखाग्नि दी उनके अंतिम संस्कार दोपहर 1 बजे किया गया। अंतिम संस्कार में लोक कलाकार लेखक गीतकार पार्षद मीडिया कर्मी एवं जनप्रतिनिधि व्यापारी सहित समाज के एवं मित्रगण उपस्थित रहे।
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ज्ञात हो कि अविभाजित मध्यप्रदेश के शासनकाल में कला के क्षेत्र में अपने गीतों के दम पर देश दुनिया में नाम कमाने वाले लोक कलाकार गायक धुरवा राम मरकाम 1976 में आकाशवाणी केंद्र में गीतों की शुरुआत की थी। लोक सांस्कृतिक कार्यक्रम दूधमोगरा संस्था में 1976 में जुड़कर कार्य किए। उनका प्रथम गीत आमा के डार में बोले सुघघर मैना तोर कजनैनी नैना, गीत की शानदार प्रस्तुति दी उसके बाद लगातार प्रसिद्धि पाकर अन्य गीतों जिसमें जतन करो धरती के संगी जतन करो रे, ये नदियां बैमान जवारा झिकत लेंगे ना, लागे रइथे दीवाना तोर बर मोरो मया लागे रहीथे, चल संगी देवता ल मनाबो, ए मोर करोंदा विलंम जाबे ना,जैसे गीतों में कलाकार धुरवा राम मरकाम ने प्रसिद्धि हासिल की। धुरवा राम कर्मा ददरिया जस जवारा गीतों के कलाकार भी थे।आज लोक गायक मरकाम की आवाज थम गई और सिर्फ उनकी यादें ही रह जाएंगे।
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Folk artist Dhurwa Ram Markam merged with Panchatatva: धुरवा राम मरकाम बाद में वर्ष 1984- 85 में दुधमोंगरा संस्था से अलग होकर लोक कला मंच संस्था मया के फूल का गठन कर अपने पत्नी दुखिया बाई मरकाम के साथ काम किया। मृतक के पत्नी स्व दूखिया बाई मरकाम भी एक जाने माने लोक गायिका थी जिसकी स्वर आज पूरे प्रदेश में चर्चित है, जो आज भी किसी के यहां मांगलिक कार्य में सुनने को मिल जाता है। उसकी भी गीत जंगल जंगल झाड़ी झाड़ी खोजे सांवरिया,जैसे गीतों में नाम कमाकर खूब प्रसिद्ध हासिल की थी। मृतक धुरवा राम मरकाम की मृत्यु की सूचना की जानकारी जैसी ही लोगों को मिली सुबह से दोपहर तक लोगों ने व्हाट्सएप सोशल मीडिया ग्रुप में दिन भर श्रद्धांजलि का दौर चलता रहा छत्तीसगढ़ शासन के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने भी उनको सोशल मीडिया ग्रुप में श्रद्धांजलि दी।

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