Devkinandan Maharaj In Katghora: “मनुष्य को अपनी मृत्यु सुधारने का प्रयास हमेशा करते रहना चाहिए, वाणी ऐसी हो कि भगवान भी प्रसन्न हो” : देवकीनंदन जी महाराज

Devkinandan Thakur Maharaj In Katghora "मनुष्य को अपनी मृत्यु सुधारने का प्रयास हमेशा करते रहना चाहिए, वाणी ऐसी हो की भगवान भी प्रसन्न हो"

Devkinandan Maharaj In Katghora: “मनुष्य को अपनी मृत्यु सुधारने का प्रयास हमेशा करते रहना चाहिए, वाणी ऐसी हो कि भगवान भी प्रसन्न हो” : देवकीनंदन जी महाराज

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Modified Date: September 18, 2023 / 06:44 pm IST
Published Date: September 18, 2023 6:38 pm IST

कोरबा: देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज के सानिध्य में 16 से 22 सितंबर 2023 तक श्रीमद भागवत कथा का आयोजन स्थानीय स्टेडियम ग्राउंड, हाईस्कूल परिसर, गोकुल धाम के पास कटघोरा में किया जा रहा है। (Devkinandan Thakur Maharaj In Katghora) श्रीमद भागवत कथा के तृतीय दिवस की शुरुआत विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। जिसके बाद पूज्य महाराज जी ने भक्तों को ‘मुझे ऐसी लगन तू लगा दे, मैं तेरे बिना पल ना रहूं’ भजन का श्रवण कराया।

मृत्यु को सुधारने का प्रयास हमेशा करते रहना चाहिए। इसलिए भगवान ने जो मनुष्य को दिया है उसका सदुपयोग करना चाहिए। अगर मनुष्य को भगवान की प्राप्ति हो गयी एवं मनुष्य जीवन का उद्देश्य प्राप्त हो गया तो ये मनुष्य के लिए सबसे बड़ी प्राप्ति होती है, इसलिए मनुष्य को हमेशा भगवान को मनाने का प्रयास करते रहना चाहिए।

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जो बहु अपने सास-ससुर की सेवा करती है वो असल रूप में देवी होती है क्यूंकि ऐसी स्त्री देवताओं की नज़रों में भी पूजनीय हो जाती है। माँ -पाप का कर्ज कोई नहीं उतार सकता है क्यूंकि माँ-पाप अपनी सारी पूंजी अपनी संतान के पालन पोषण में लगा देतें हैं। जो मनुष्य एक सच्चा सनातनी होगा वो कभी भी अपने माँ-पाप एवं धर्म का अपमान नहीं करेगा।

मनुष्य जो जीवन भर करता है उसमे ही मन लगाकर रखता है इसलिए मनुष्य मृत्यु से डरता है। वैष्णव धर्म के अनुसार हमें भगवान की पूजा करनी चाहिए और सब से ज्यादा ताकत हमारे गुरु द्वारा दिए हुए मंत्र में होती है। मंत्र लेने के बाद जाप ना करना मनुष्य के लिए नर्क के दरवाजे खोलना होता है। हमें मंत्र का जाप करना चाहिए क्योकि उससे बड़ी सम्पत्ति कोई और नहीं होती है। व्यक्ति को हमेशा अपने लोभ, मोह, इर्षा, क्रोध,काम, बुरी आदतों का त्याग करना चाहिए। इस संसार में जितने भी जीव-जन्तु है वो सब जन्म से सनातनी ही हैं।

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