यहां के सरकारी जमीन ही बेच रहे माफिया, कोटवार के नाम चढ़ाकर कर दिया 4 करोड़ में सौदा, पटवारी और आरआई की भूमिका पर उठ रहे सवाल

Mafia, selling only government land here, made a deal for 4 crores by offering Kotwar's name

यहां के सरकारी जमीन ही बेच रहे माफिया, कोटवार के नाम चढ़ाकर कर दिया 4 करोड़ में सौदा, पटवारी और आरआई की भूमिका पर उठ रहे सवाल
Modified Date: November 29, 2022 / 08:35 pm IST
Published Date: June 7, 2022 12:16 am IST

बिलासपुर : बिलासपुर में बेशकीमती शासकीय जमीनों के बंदरबांट का खेल चल रहा है। जमीन माफियाओं के साथ राजस्व विभाग के अधिकारी-कर्मचारी नियमों को ताक पर रखकर शासकीय जमीनों का बंदरबांट कर रहे हैं। नगर निगम में शामिल ग्रामीण क्षेत्र की शासकीय जमीन सबसे ज्यादा इनके निशाने पर है। ऐसी ही 5 एकड़ शासकीय जमीन के बंदरबांट का एक मामला सामने आया है। जिसमें शासकीय जमीन को कोटवार के नाम चढ़ाकर 4 करोड़ में उसका सौदा कर दिया गया।

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दरअसल, बिलासपुर शहर के विस्तार के लिए शहर से लगे 18 गांवों को नगर निगम में शामिल किया गया है। इसमें मोपका, चिल्हाटी, देवरीखुर्द, सकरी सहित कई गांव शामिल हैं। इन गांवों के शहर में शामिल होते ही जमीन माफियाओं की नजर यहां की कीमती जमीन पर है। बिलासपुर के मोपका चिल्हाटी में ऐसे ही 5 एकड़ के एक शासकीय जमीन का बंदरबांट कर लिया गया है।

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चिल्हाटी में खसरा नंबर 317/8 में 5 एकड़ की शासकीय जमीन है। ये जमीन निस्तार पत्रक में भी दर्ज है। इस शासकीय जमीन को 3 लोगों को चार करोड़ रुपए में बेच दिया गया। इसके लिए बकायदा फर्जी दस्तावेज तैयार किया गया। सबसे पहले इसे गांव के कोटवार बलदाऊ सिंह चौहान के नाम पर दर्ज कराया गया। बाद में जमीन माफियाओं ने इस 5 एकड़ जमीन को तीन लोगों को बेच दिया। इसमें जयराम नगर निवासी उत्तम कुमार को ढाई एकड़ जमीन बुधवारी बाजार के विपुल सुभाष नागौसे को 1 एकड़ 99 डिसमिल और जांजगीर के कुमार दास मानिकपुरी को 51 डिसमिल जमीन बेची गई। बताया जा रहा है, शासकीय जमीन को बेचने के लिए करीब 5 करोड़ रुपए में पूरी डील हुई। इसमें से 4 करोड़ में जमीन की रजिस्ट्री हुई। जबकि बाकी 1 करोड़ रुपए पटवारी से लेकर अधिकारी तक को दिया गया। पूरे मामले में पटवारी और आरआई की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है।

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इस जमीन फर्जीवाड़े से जुड़ा एक ऑडियो भी वायरल हो रहा है। जिसमें जमीन दलाल और पटवारी के बीच इस बंदरबांट की प्लानिंग पर चर्चा हो रही है। जिसमें तहसीलदार से लेकर आरआई, पटवारी तक के पैसे के लेनदेन का जिक्र किया जा रहा है। वहीं शासकीय जमीन के फर्जीवाड़े का मामला सामने आने के बाद राजस्व महकमे में हड़कंप मचा हुआ है। इसके जांच के निर्देश दिए गए हैं। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर शासकीय जमीन के बंदरबांट पर कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है ?


लेखक के बारे में

सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।