कैदियों को लकड़ी पर अक्षर एवं आकृति उकेरने की कला सिखाते हैं पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुने गए मंडावी |

कैदियों को लकड़ी पर अक्षर एवं आकृति उकेरने की कला सिखाते हैं पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुने गए मंडावी

कैदियों को लकड़ी पर अक्षर एवं आकृति उकेरने की कला सिखाते हैं पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुने गए मंडावी

:   Modified Date:  January 27, 2023 / 08:54 PM IST, Published Date : January 27, 2023/8:54 pm IST

कांकेर, 27 जनवरी (भाषा) इस साल पद्मश्री पुरस्कारों के लिए छत्तीसगढ़ से चुने गए तीन व्यक्तियों में शामिल अजय कुमार मंडावी एक दशक से अधिक समय से कांकेर जेल के कैदियों को लकड़ी पर अक्षर एवं आकृति उकेरने की कला सिखा रहे हैं।

पचपन वर्षीय मंडावी ने इस सम्मान के बारे में शुक्रवार को कहा कि जब वह जेल परिसर में प्रवेश करते हैं तो वह एक कला प्रशिक्षक की बजाय एक परामर्शदाता अधिक बन जाते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए क्योंकि कई कैदी उनके साथ अपना दर्द बयां करते हैं और समस्याएं बताते हैं।

कांकेर जिले के रहने वाले मंडावी ने कहा कि लकड़ी और मिट्टी से खिलौने बनाना उनके बचपन का शौक था, जिसने उन्हें जीवन में बाद में एक कलाकार बना दिया। मंडावी ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप उन्होंने 2005 से युवाओं को प्रशिक्षित करना शुरू किया, जिनमें से कई नक्सली हिंसा के पीड़ित थे।

उन्हें कांकेर के तत्कालीन जिलाधिकारी ने 2010 में उस समय जेल के कैदियों को लकड़ी की कला सिखाने के लिए कहा था जब जिले में माओवादी खतरा अपने चरम पर था।

उन्होंने करीब 12 कैदियों के साथ अपनी कक्षाएं शुरू कीं जिन्हें कथित माओवादी संबंध के चलते पकड़ा गया था। उन्होंने कहा कि इसके बाद कैदियों में से कई को जीवन शांतिपूर्ण तरीके से जीने की आवश्यकता को समझने में मदद मिली।

मंडावी ने कहा, ‘‘मैंने उनसे (जेल के कैदियों) कभी उनके अतीत के बारे में नहीं पूछा। हालांकि, वे अकसर अपना दर्द और समस्याओं को मुझसे साझा करते हैं और मैं उन्हें धैर्य से सुनता हूं। धीरे-धीरे मेरी भूमिका सिर्फ एक कला प्रशिक्षक की तुलना में एक परामर्शदाता की बन गई। मुझे भी उन्हें परामर्श देना अच्छा लगने लगा।’’

कांकेर के सुदूर भैसासुर गांव में 2015 में स्वयं सहायता समूह ‘शांता आर्ट’ की स्थापना करने वाले मंडावी ने कहा, ‘‘मेरे लिए इससे बड़ी उपलब्धि क्या हो सकती है कि कभी राइफल चलाने वाला व्यक्ति मुख्यधारा में लौट आए और शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करे।’’

मंडावी के अलावा, राज्य से प्रख्यात पंडवानी गायिका उषा बारले और ‘नाचा’ कलाकार डोमार सिंह कुंवर को पद्म श्री पुरस्कारों के लिए चुना गया है।

भाषा अमित नेत्रपाल

नेत्रपाल

 

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