Mid Day Meal News: पहले टीचर चखेंगे मिड-डे मील फिर खाएंगे बच्चे.. प्रदेश सरकार ने जारी किया यह बड़ा आदेश, जानें क्या है वजह
Mid Day Meal News: छत्तीसगढ़ में सरकार ने मिड-डे मील की गुणवत्ता को लेकर ऐसा फैसला लिया है जो अब चर्चा का विषय बन चुका है। सरकार ने शासकीय विद्यालयों और छात्रावासों में बच्चों को दिए जाने वाले मध्यान्ह भोजन (Mid-Day Meal) की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए बड़ा कदम उठाया है, जो बच्चों की सेहत और सुरक्षा से जुड़ा है।
Mid Day Meal News
- छत्तीसगढ़ में मिड-डे मील को लेकर आदेश
- रोज जांच होगी मिड-डे मील की गुणवत्ता
- स्कूल शिक्षक या वार्डन स्वयं चखेंगे भोजन
Mid Day Meal News: छत्तीसगढ़ में सरकार ने मिड-डे मील की गुणवत्ता को लेकर ऐसा फैसला लिया है जो अब चर्चा का विषय बन चुका है। और ये फैसला सरकार ने सरकारी स्कूलों में चलने वाली मध्यान्ह भोजन या मिड-डे मील स्कीम को लेकर लिया है। जानिए पूरा मामला क्या है
ये है पूरा मामला
Mid Day Meal News: छत्तीसगढ़ सरकार ने शासकीय विद्यालयों और छात्रावासों में बच्चों को दिए जाने वाले मध्यान्ह भोजन (Mid-Day Meal) की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए बड़ा कदम उठाया है, जो बच्चों की सेहत और सुरक्षा से जुड़ा है। फैसले के अंतर्गत अब हर स्कूल और छात्रावास में उपस्थिति रजिस्टर के साथ-साथ एक नया रजिस्टर भी अनिवार्य होगा ‘चखने का रजिस्टर’। इस रजिस्टर में हर दिन यह दर्ज किया जाएगा कि भोजन परोसने से पहले किस शिक्षक या वार्डन ने भोजन चखा, उसकी गुणवत्ता जांची और अपनी स्वीकृति दी।
क्यों जरूरी पड़ी ये पहल?
हाल ही में राज्य के कई स्कूलों से मिड-डे मील की गुणवत्ता को लेकर चौंकाने वाली शिकायतें सामने आई थीं। जिनमें से एक मामले पर हाईकोर्ट ने खुद सं लिया था। दरअसल,सुकमा जिले के छिंदगढ़ के पाकेला आवासीय पोटा केबिन में 426 बच्चों के लिए बनी सब्जी में फिनाइल मिला दी गई थी। जिसके बाद ये मामला हाईकोर्ट पहुंचा। हाईकोर्ट ने सरकार को सख्त निर्देश दिए थे कि मध्यान्ह भोजन में लापरवाही न बरती जाए और सरकार और प्रबंधन खुद इसका सुपरविजन करें। इसी निर्देश के बाद सरकार हरकत में आई और यह फैसला लिया गया ।
जवाबदेही भी होगी तय
Mid Day Meal News: सरकार द्वारा ये भी साफ किया गया है कि यदि मिड-डे मील में किसी प्रकार की लापरवाही या गड़बड़ी सामने आती है, तो स्कूल के प्रधानाध्यापक, प्राचार्य या छात्रावास वार्डन को सीधे जिम्मेदार ठहराया जाएगा। इसके साथ ही, हर जिले में एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा, जो इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी करेगा और नियमित रिपोर्ट तैयार करेगा। साथ ही, फूड पॉइजनिंग जैसी संभावित स्थितियों से निपटने के लिए मॉक ड्रिल भी समय-समय पर कराई जाएंगी।

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