रायपुरः Naxalites on police camps नक्सली इन दिनों फोर्स पर दूर से छिपकर वार कर रहे हैं। लाल लड़ाकों ने बीते दिनों इसी BGL तकनीक का इस्तेमाल कर बस्तर में कई पुलिस कैंप पर निशाना साधा है। सुकमा के किस्टाराम इलाके के पोटकपल्ली कैम्प पर नक्सलियों ने 12 से 15 BGL दागे। जवानों की मुस्तैदी और जवाबी कार्रवाई से हमले में कोई नुक़सान नहीं हुआ। इसी तरह पिछले दिनों बीजापुर में धर्माराम कैंप पर नक्सलियों ने BGL से हमला किया जिसमें स्टोर रूम को नुक्सान पहुंचा। गनीमत ये रही कि हमले में किसी भी जवान को चोट नहीं आई।
Naxalites targeting police camps दरअसल, नक्सली तीर बम के साथ-साथ अत्याधुनिक हथियारों का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। नक्सलियों ने साल 2009 से ही BGL को लेकर प्रयोग शुरू कर दिया था। बीते 2 महीनों में चार अलग-अलग जगहों पर कैंपों पर नक्सिलयों ने बीजीएल से ही हमला किया है। चूकिं इन हमलों में इस्तेमाल ग्रेनेड छोटे थे इसीलिए कैंपों में कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ। पर अगर सीधे तौर पर इसकी चोट पड़ती तो जवानों को नुकसान होना तय है। BGL के आलावा नक्सलियों के पास फिलहाल भरमार बंदूकों, आईडी डेटोनेटर, AK-47, ग्रेनेड लॉन्चर, LMG समेत कई आधुनिक हथियार भी हैं। आशंका ये भी है कि नक्सली पुलिस कैंप पर कोई बड़ा हमला प्लान कर सकते हैं।
वहीं पुलिस कैंप्स पर बढते हमले में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि नक्सलियों का मनोबल बढ़ा हुआ है और सरकार ने नक्सलियों के सामने घुटने टेक दिए हैं। हालांकि सत्तापक्ष ने इन आरोपों को खारिज करते हुए नक्सल मोर्चे पर डटकर मुकाबला करने का दावा किया। ।
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साफ है कि नक्सली बस्तर में पुलिस कैंप्स पर हमले कर फिर हरकत में हैं। पुलिस जवान भी जवाबी एक्शन कर रही है लेकिन नक्सलियों की एकतरफा सक्रियता और हमले में पुराने हथियारों के साथ ही नई तकनीक के इस्तेमाल ने चिंता बढ़ा दी है। नक्सली अब पुलिस कैंप और कैंप के नजदीकी पुलिस पार्टियों को निशाना बनाने की जुर्रत कर रहे हैं। इसकी आड़ में वों पुलिस कैंप्स का विरोध करने वाले ग्रामीणों का समर्थन हासिल करने की चाल भी चल रहे हैं। जिस पर वक्त रहते लगाम कसने की बड़ी चुनौती है।
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