23 का एजेंडा…शराबबंदी किसका मुद्दा? छत्तीसगढ़ शराबबंदी को लेकर एक बार फिर गरमाई सियासत!
23 का एजेंडा...शराबबंदी किसका मुद्दा? छत्तीसगढ़ शराबबंदी को लेकर एक बार फिर गरमाई सियासत! politics heats up regarding prohibition of liquor
(सौरभ सिंह परिहार) रायपुर। prohibition of liquor in Chhattisgarh प्रदेश मे अगले साल विधासभा चुनाव हैं जिसके लिए दोनों पक्ष पुराने वायदों का हिसाब लेकर जनता के दरबार में जाने की तैयारी में जुटे हैं। पिछले 2018 के चुनाव में तीन बार सत्ता संभाल चुकी भाजपा को जनता ने महज 15 सीटों पर समेट दिया था और कांग्रेस को बंपर जीत मिली। इस जीत में एक बड़ा फैक्टर कांग्रेस का जनघोषणा पत्र को भी माना गया। पार्टी के घोषणापत्र में एक वायदा शराबबंदी भी था। जिसे लेकर भाजपा बार-बार मौजूदा कांग्रेस सरकार को घेरती रही है, लेकिन अब एक घटना के बाद कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा का हाथ शराब तस्करों के साथ कांग्रेस ने ये भी का कहा कि शऱाबबंदी जनता का नहीं भाजपा का मुद्दा है। जबकि भाजपा का आरोप है कि पार्टी शराबबंदी की चर्चा तक से भाग रही है।
prohibition of liquor in Chhattisgarh छत्तीसगढ़ सियासत में शराबबंदी के मुद्दे पर कांग्रेस और भाजपा फिर आमने-सामने हैं। सबसे पहले इसकी ताजा वजह आपको बताते हैं। राजनांदगांव के चिचोला बॉर्डर पर भाजपा के आरटीआई प्रकोष्ठ के पदाधिकारी जयराम दुबे की कार में शराब की बोतलें मिली हैं। जिस पर भाजपा ने सीधे राज्य सरकार पर हमला बोला। भाजपा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राज्य सरकार पर बदलापुर की सियासत करने का आरोप लगाया। भाजपा का आरोप है कि उनके कार्यकर्ता जयराम दुबे की कार में जबरन शराब रखकर उन्हें फंसाया गया…पलटवार में कांग्रेस ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि भाजपा का हाथ शराब तस्करों के साथ है। पकड़े जाने पर भाजपा नेता पुलिस को अपने बड़े नेताओं का नाम लेकर धमकी देते हैं।
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वैसे शराबबंदी के मुद्दे पर पहले से भी दोनों पक्षों में जमकर बहस छिड़ती रही है। ताजा मुद्दे के सामने आने के बाद शराबबंदी समिति के अध्यक्ष और विधायक सत्यनारायण शर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में शराबबंदी जनता का मुद्दा नहीं है, वो केवल भाजपा का मुद्दा है। चाहे तो जनता के बीच इसका सर्वे कराकर देख सकते हैं। पलटवार में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा कि कांग्रेस ने 2018 के अपने जन घोषणा पत्र में शराबबंदी का वादा किया था, लेकिन अब तो कांग्रेस इससी चर्चा तक से भाग रही है।
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ये सच है कि पिछले चुनाव में कांग्रेस ने लोगों की रायशुमारी के बाद अपना जनघोषणापत्र जारी किया था। जिसमें शराबबंदी का वायदा भी शामिल था। जिसे लेकर भाजपा कांग्रेस को घेरती रही है। ये भी सच है कि भाजपा शासित राज्यों में भाजपा शराबबंदी पर चुप्पी साध लेती है, अगल राय रखती है। लेकिन मौजूदा दौर में छिड़ी बहस के बाद अब सवाल ये है कि आगामी 2023 के विधानसभा चुनाव में शराबबंदी किस पार्टी का मुद्दा रहेगा।

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