शह मात The Big Debate: कितने प्रश्न, कितनी व्यथा.. अथश्री धान कथा! अवैध धान की रिकॉर्ड जब्ती, आखिर कैसे पहुंच रहा है ये प्रदेश के अंदर? देखिए ये वीडियो

अवैध धान की रिकॉर्ड जब्ती, आखिर कैसे पहुंच रहा है ये प्रदेश के अंदर? Politics over paddy procurement in Chhattisgarh

शह मात The Big Debate: कितने प्रश्न, कितनी व्यथा.. अथश्री धान कथा! अवैध धान की रिकॉर्ड जब्ती, आखिर कैसे पहुंच रहा है ये प्रदेश के अंदर? देखिए ये वीडियो
Modified Date: December 10, 2025 / 12:19 am IST
Published Date: December 9, 2025 11:50 pm IST

रायपुरः इस साल छत्तीसगढ़ में 15 नवंबर से धान खरीदी की शुरुआत हो चुकी है। तकरीबन महीना भर बीत चुका है। खऱीदी का लक्ष्य 15 प्रतिशत ही पूरा हो सका है। रोजाना कहीं ना कहीं से किसानों की परेशानी और उसके विरोध की तस्वीरें सामने आती हैं। समाधान का दावा भी है और विरोध में सदन से सड़क एक कर देने की विपक्ष की चेतावनी भी है। वास्तविकता क्या है, कितनी सुचारू है धान खरीदी की व्यवस्था, समाधान मिल रहा है या सियासत हावी है?

जिन धान खऱीदी केंद्रों के खुलने का किसान इंतजार करते हैं, उन्हीं धान खरीद केंद्रों पर परेशान होकर, किसान खुद ही ताला लगाकर विरोध जता रहे हैं। रायपुर से सटे धरसींवा में किसानों ने धान बेचने में आ रहे व्यवधानों से तंक आकर धान खरीदी केंद्र पर ही ताला जड़ दिया और ऐसा एक नहीं कई केंद्रों पर है- दूसरी तरफ धान खरीदी के आंकड़ों को देखें तो इस साल अब तक इस साल सरकार का धान खरीदी का टार्गेट है 160 लाख मीट्रिक, अब तक 25 लाख मीट्रिक टन से अधिक की धान खरीदी हो चुकी है, यानि अभी तक केवल लगभग 15% ही खरीदी हुई है। अब तक 27 लाख पंजीकृत किसानों में से केवल 5 लाख किसानों ने ही अपना धान बेचा है, जिन्हें अब तक 5277 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा चुका है। धान बेचने के लिए किसानों को अब तक 10 लाख टोकन जारी किए गए हैं।

इधर, विपक्ष का आरोप है कि धान केंद्रों की समस्या से घिरे किसान से सरकार हर स्तर पर झूठ बोल रही है, जिसके खिलाफ वो 14 दिसंबर से आगामी शीत सत्र में प्रदेश सरकार सदन से सड़क तक घेरेंगे। पूर्व खाद्य मंत्री अमरजीत भगत का आरोप है कि सरकार की सारी दादागिरी किसानों पर ही दिख रही है। जवाब में डिप्टी CM अरुण साव कहते हैं कि 5 साल किसानों को ठगने वाली कांग्रेस धान खरीदी पर किसानों को भ्रमित करने की कोशिश रही है। धान खरीदी पर सरकार के ऑल इज वेल वाले मोड के उलट किसानों का बडा़ वर्ग मानता है कि धान खरीदी की रफ्तार बेहद कम है। धान बेचने के लिए काफी किसान बचें हैं सो धान खऱीदी की समय सीमा 31 जनवरी तक बढाई जाए। टोकन और खरीदी केंद्रों में रोजाना की लिमिट को लेकर आ रही दिक्कतों को दूर किया जाए। सवाल ये है कि क्या दावे के मुताबिक व्यवस्था की कमियों पर सरकार का ध्यान है?

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लेखक के बारे में

सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।