सीएम सर की क्लास! मुख्यमंत्री की कलेक्टर कॉन्फ्रेंस को लेकर शुरू हुई सियासत

सीएम सर की क्लास! मुख्यमंत्री की कलेक्टर कॉन्फ्रेंस को लेकर शुरू हुई सियासत! Politics started with Chief Minister Bhupesh Baghel's collector conference

Modified Date: November 29, 2022 / 08:40 pm IST
Published Date: October 21, 2021 11:40 pm IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक मशीनरी में कसावट लाने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एक बार फिर एक्शन में नजर आ रहे हैं। इस सिलसिले में मुख्यमंत्री ने कलेक्टर्स की मैराथन बैठक लेकर पूरे प्रदेश का हाल जाना। कलेक्टर्स कॉन्फ्रेंस में सीएम ने विकास के कामों की प्राथमिकता तय करते हुए कानून व्यवस्था की समीक्षा की। साथ ही सभी जिले के कलेक्टर्स को सोशल मीडिया के माध्यम से फैल रहे अफवाह और दुष्प्रचार को रोकने के निर्देश दिए। अब सवाल है कि सीएम भूपेश की क्लास और उनके सख्त निर्देश के बाद कलेक्टर्स कैसा परफॉर्मेस देते हैं?

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रायपुर के सर्किट हाउस में कलेक्टर्स कॉन्फ्रेंस के दौरान CM भूपेश बघेल ने कवर्धा विवाद का उदाहरण देते हुए ये बातें कही। सीएम ने सभी जिलों के कलेक्टर्स की क्लास लेते हुए कहा कि मुझे विरोध प्रदर्शन से परहेज नहीं , लेकिन योजनाबद्ध तरीके से माहौल बिगाड़ने की साजिश को सफल नहीं होने देना है। मुख्यमंत्री ने इसके लिए जिले का सूचना तंत्र विकसित करने का निर्देश दिया। कलेक्टर्स कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया के जरिये फैलाए जा रहे अफवाहों का अपने सूचना तंत्र के जरिये खंडन करें।

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6 घंटे से ज्यादा देर तक चली मैराथन बैठक में कानून व्यवस्था की समीक्षा के साथ मुख्यमंत्री ने सभी जिलों में संचालित विकास कार्यों का हाल जाना। इस दौरान सीएम ने कलेक्टर्स को धान खरीदी, राजस्व प्रकरण का निराकरण, रोका छेका अभियान, न्याय योजना और गौठान योजना समेत राज्य सरकार की सभी योजनाओं को आम लोगों तक समय सीमा के भीतर पहुंचाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री एक्शन मोड में आए, तो बीजेपी को चुटकी लेनी ही थी। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने आरोप लगाया कि प्रदेश में प्रशासन नाम की चीज़ नहीं है। उन्होंने कलेक्टर्स को कलेक्शन एजेंट भी बताया।

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आगामी दिसंबर में भूपेश सरकार को सत्ता में 3 साल पूरे हो जाएंगे। 2023 का विधानसभा चुनाव भी अब करीब है और विपक्ष जिस आक्रामक अंदाज में सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेरने की कोशिश कर रही है, तब जरूरी है कि कांग्रेस जब चुनाव मैदान में उतरे, तो उसे जनता के आक्रोश का सामना न करना पड़े। बल्कि उसके पास अपने वोटर्स को बताने, दिखाने और रिझाने के लिए ठोस उपलब्धियां हों और प्रशासन को साथ लिए बिना सरकार के लिए भी अपनी महत्वाकांक्षी योजनाओं को धरातल पर पहंचाना इतना आसान नहीं होगा।

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