रायपुर : Ram Mandir Pran Pratishtha : ज्यों-ज्यों 22 जनवरी की तारीख नजदीक आ रही है। अयोध्या में राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां उतनी ही तेज होती जा रही हैं। देशभर से मंदिर दर्शन की, मंदिर के लिए अपनी ओर से भेंट देने की होड़ मची है। बीजेपी 22 जनवरी को नगर-नगर दिवाली मनाने के इंतजाम में जुटी है, तो इस मुद्दे पर कांग्रेस-बीजेपी में सियासी बयान भी चरम पर दिख रहे हैं। कांग्रेस इसे कोरी सियासी कवायद बताते हुए। बीजेपी को धर्म और राम के नाम पर पॉलिटिक्स करने वाली धोखेबाज पार्टी बता रही है तो बीजेपी इसे राम मंदिर निर्माण से कांग्रेस को होने वाली पीड़ा बता कर तंज कर रही है।
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Ram Mandir Pran Pratishtha : ”राम की लूट है लूट सके तो लूट” सुप्रसिद्ध रामभजन की ये पंग्तियां इन दिनों देश-प्रदेश के सियासी गलियारे में छिड़े संग्राम पर पूरी तरह से सटीक बैठती हैं।तकरीबन साढ़े चार सौ सालों बाद अयोध्या में राम मंदिर में रामलला की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा होनी है जिसके लिए बीजेपी देशव्यापी माहौल बना रही है। प्रदेश से स्पेशल ट्रेनें चलाई जाएंगी, अयोध्या तक, देशभर में दिवाली मनाने की अपील की गई है। ये पूरी कवायद कांग्रेस को जरा भी रास नहीं आ रही है, वो इसे सीधे-सीधे राम के नाम पर पॉलिटिक्स करार देते हुए बीजेपी को राम से छलावा करने वाला बता रही है।
इधर, कांग्रेस के रामनाम पर पॉलीटिक्स के आरोपों पर बीजेपी के दिग्गज नेताओं ने भी मोर्चा संभाल लिया है। पार्टी नेता मानते हैं कि कांग्रेस लाख दिखावा कर ले लेकिन राम नाम और राम काज की चर्चा कांग्रेस को कभी रास नहीं आती। यही उसका असल चेहरा है।
Ram Mandir Pran Pratishtha : दरअसल, कांग्रेस की पीड़ा और विरोध बेवजह नहीं है। ये सच है कि राम मंदिर का निर्माण, रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का समारोह और देश भर में राममय माहौल का असर 2024 चुनाव पर पड़ना तय है। इसीलिए इसे भव्य बनाने में बीजेपी जी-जान से जुट चुकी है। देश के प्रधानमंत्री से लेकर राज्यों के मुख्यमंत्री तक इसे लेकर तमाम प्रयासों की पैरवी कर चुके हैं। ऐसे में चुनाव में इसका बीजेपी को सीधा फायदा होना तय दिखता है। इसीलिए कांग्रेस लगातार इस विषय पर बीजेपी को घेर रही है। लेकिन कड़वा सच ये भी है कि जितने बयान इस बारे में कांग्रेस दे रही है उस पर सफाई देना पार्टी को उनता भी मुश्किल भरा हो रहा है। सवाल ये है कि मर्यादा पुरूषोत्त्म राम के नाम पर ये भीषण संग्राम कहां जाकर थमेगा?