मानसून की मार…किसान लाचार! फिर खाली न रह जाए धान का कटोरा, किसानों को उबारने के लिए सरकार के पास है कोई मास्टर प्लान?

मानसून की मार...किसान लाचार! फिर खाली न रह जाए धान का कटोरा! the rice bowl should not be left empty

Modified Date: November 29, 2022 / 08:04 pm IST
Published Date: August 17, 2021 11:09 pm IST

रायपुर: धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में इस बार मानसून डावांडोल रहा है। नतीजा ये कि कहीं ज्यादा बारिश हुई तो कहीं सूखा पड़ा हुआ है। कम बारिश के चलते प्रदेश के आधे जिलों में अकाल दस्तक दे रहा है। बांध खाली हैं और खेत सूख रहे हैं। अब तक प्रदेश में 20 फीसदी से कम बारिश रिकॉर्ड हुआ है। कम बारिश के चलते धान, दलहन और तिलहन फसलों की बुआई भी प्रभावित हुई है। इस सूरतेहाल में किसानों की चिंता बढ़ने लगी है। हालांकि सरकार का दावा है कि केवल दुर्ग और रायपुर में कम बारिश हुई है, बाकी इलाकों में पानी की कोई किल्लत नहीं है।

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छत्तीसगढ़ में इस साल कम बारिश ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी। प्रदेश के आधे जिलों में सूखे हालात बन गए हैं। धान की रोपाई करीब 16 फीसदी कम हुई है वहीं दलहन-तिलहन फसलों की बुआई भी 30 से 40 फीसदी कम हुई है। ओवरऑल प्रदेशभर में अब तक हुई बारिश के आंकड़ों पर नजर डालें तो सिर्फ पांच जिले ही ऐसे हैं, जहां सामान्य या उससे अधिक बारिश हई है। वहीं 10 जिले ऐसे हैं जहां माइनस 1 से लेकर 18 फीसदी कम बारिश हुई है। हालांकि नियम के चलते इसे कम बारिश वाले जिलों में शुमार नहीं किया गया है, नियम ये कहता है कि 20 फीसदी से कम बारिश होने पर ही उसे डेफिसिट कैटेगरी में डाला जाता है। किन प्रदेश के 13 जिले सीधे-सीधे अपर्याप्त बारिश वाली कैटेगरी में आ गए हैं। ये सारे आंकड़े पिछले 30 साल के औसत के आधार पर तय किए गए हैं। जानकारों के मुताबिक कम बारिश का सीधा असर प्रदेश में फसल की बुआई पर पड़ा है।

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राज्य भर से आ रही कम बारिश की खबरों को लेकर कृषि मंत्री रविंद्र चौबे का कहना है कि पूरे छत्तीसगढ़ में बरसात कम हुई है, लेकिन फसल को नुकसान हुआ हो ऐसी बात नहीं है। कृषि मंत्री ने कहा कि अभी बारिश का पूरा मौसम बचा हुआ है। किसानों के सामने मैदानी क्षेत्रों में थोड़ी चिंता है। लेकिन मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि सभी बांधों और चैनल को पानी दिया जाए। हालांकि बीजेपी आरोप लगा रही है कि सूखे को लेकर सरकार की कोई कार्ययोजना नहीं है। ये सरकार जब प्यास लगती है तब कुआं खोदती है।

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आंकड़े बताते हैं कि अगर अगस्त के आखिरी तक मानसून ने बेरूखी दिखाई तो रायपुर, दुर्ग और बस्तर संभाग में सूखे की स्थिति बन सकती है। ऐसे में सवाल है कि क्या इस स्थिति से किसानों को उबारने के लिए राज्य सरकार के पास कोई मास्टर प्लान है? अगर हां तो कब तक वो उस प्लान को जमीन में उतारने जा रही है?

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