रायपुर: बीजापुर के एडसमेटा में कथित फर्जी मुठभेड़ की जांच पूरी हो चुकी है। हाल ही में आयोग ने जांच पूरी कर 126 पेज की रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। हालांकि सरकार ने रिपोर्ट को अभी सार्वजनिक नहीं किया है। लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक तमाम बयानों को दर्ज करने के बाद आयोग ने मुठभेड़ को फर्जी पाया है। अब सवाल उठ रहा है कि ये क्या है एडसमेटा का सच? 8 साल पहले हई 8 मौतों का जिम्मेदार कौन है?
साल- 2013 में 17-18 मई की दरम्यानी रात यहां कुछ ऐसा हुआ, जिसने इस हंसते-खेलते गांव की बोलती बंद कर दी है। ये उस रात की बात है, जब एडसमेटा के लोग बीजपुंडम के जलसे की तैयारी कर रहे थे। हर तरफ त्योहार की रौनक छाई हुई थी। अचानक चारों तरफ से गोलियों की बौछार होने लगी। कोई कुछ समझता, इससे पहले ही गांव के 8 लोग दम तोड़ चुके थे। गोलीबारी में जान गंवाने वालों में 4 मासूम बच्चे भी थे, जिसे ग्रामीणों ने और उस समय विपक्ष में रही कांग्रेस ने घटना को फर्जी मुठभेड़ बताया था, जिसकी जांच के लिए तत्कालीन बीजेपी सरकार ने इस मामले में जस्टिस बीके अग्रवाल की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग गठित किया था। एडसमेटा में कथित फर्जी मुठभेड़ की जांच पूरी हो चुकी है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि मुठभेड़ में निर्दोष ग्रामीण मारे गए हैं। घटना के 8 साल बाद आयोग ने जांच पूरी कर 126 पेज की रिपोर्ट सरकार को सौंपी है। हालांकि सारकेगुड़ा मामले से सबक लेते हुए सरकार रिपोर्ट की गोपनीयता पर ध्यान दे रही है।
जानकारी के मुताबिक आयोग ने पीड़ित पक्ष के 12 और सुरक्षा बल के 9 गवाहों को मिलाकर कुल 21 लोगों का बयान दर्ज किया है। अभी जांच रिपोर्ट कैबिनेट में रखी है, जिसे विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा। इस वजह से पूरी तरह से साफ नहीं हो पाया है कि जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट में क्या तथ्य पेश किए हैं। लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक तमाम बयानों को दर्ज करने के बाद आयोग ने मुठभेड़ को फर्जी पाया है। हालांकि विपक्ष आरोप लगा रहा है कि जब रिपोर्ट की चर्चा विधानसभा में होनी है, तो मीडिया में इसकी जानकारी कैसे लीक हुई।
जांच आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि सुरक्षाकर्मियों ने घबराहट में गोलियां चलाई होंगी। आयोग ने सुरक्षाबलों के काम में कई खामियां पाई। ये भी कहा गया है कि मारे गए आदिवासी निहत्थे थे और गोलियां चलने से सभी मारे गए। जांच रिपोर्ट के संबंध में सरकार की ओर अभी कुछ भी अधिकृत तौर पर नहीं कहा गया है, लेकिन एडसमेटा में जिन लोगों ने अपनों को खोया। उन्हें 8 साल बाद भी इंसाफ का इंतजार है।