Vishnu Ka Sushasan: घर मा पहुंचिस साफ पानी.. खुशहाल होइस जिनगानी, रजत जयंती वर्ष में जल जीवन मिशन से छत्तीसगढ़ में दिखा बदलाव
घर मा पहुंचिस साफ पानी.. खुशहाल होइस जिनगानी, Vishnu Ka Sushasan: Jal Jeevan Mission in Silver Jubilee Year brought a change in Chhattisgarh
Vishnu ka Sushasan. Image Source- IBC24
रायपुरः Vishnu Ka Sushasan: वर्ष 2025 छत्तीसगढ़ के इतिहास में एक गौरवपूर्ण मील का पत्थर है। इस वर्ष राज्य अपने गठन के 25 वर्ष पूरे कर रहा है और इसे “रजत जयंती वर्ष” के रूप में पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। 1 नवम्बर 2000 को जब छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश से अलग होकर एक नया राज्य बना, तब इसकी पहचान मुख्यतः एक पिछड़े, वनवासी और कृषि प्रधान क्षेत्र के रूप में थी। लेकिन इन पच्चीस वर्षों में छत्तीसगढ़ ने जिस तेज़ी से सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक विकास किया है, वह एक प्रेरणादायक यात्रा बन चुकी है। रजत जयंती वर्ष इसी विकास यात्रा की उपलब्धियों का उत्सव है और साथ ही, आगे की दिशा तय करने का एक महत्वपूर्ण पड़ाव भी। रजत जयंती वर्ष में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय छत्तीसगढ़ को और आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं।
साल 2000 में जब छत्तीसगढ़ नया राज्य बना, तब बड़ी आबादी गांवों और वन क्षेत्रों में निवास करती थी। यहां की भौगोलिक स्थिति, जनजातीय जीवनशैली और संसाधनों की कमी के कारण बुनियादी सेवाएं पहुंच से दूर थीं। पेयजल की बात करें तो ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में साफ पानी की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती थी। अधिकांश लोग कुएं, झरनों या पुराने हैंडपंपों पर निर्भर थे। गर्मियों में जल स्रोत सूख जाते थे, जिससे महिलाओं और बच्चों को कई किलोमीटर दूर जाकर पानी लाना पड़ता था। कई क्षेत्रों में पीने के पानी में फ्लोराइड, आयरन या अन्य प्रदूषक पाए जाते थे, जिससे बीमारियाँ भी फैलती थीं। राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने बुनियादी ढांचे को सशक्त करने को प्राथमिकता दी। पेयजल और अन्य बुनियादी सुविधाओं के क्षेत्र में अनेक योजनाएं चलाई गईं, जिनका असर अब धरातल पर दिखाई देता है। सबसे पहले, पेयजल की स्थिति में बड़ा बदलाव आया है। “जल जीवन मिशन” के तहत अब लाखों ग्रामीण घरों में नल से शुद्ध पानी पहुंच रहा है। गांवों में सोलर जल आपूर्ति, मिनी वाटर टैंक, ट्यूबवेल और हैंडपंपों की मरम्मत और नए जल स्रोतों की खोज जैसे प्रयासों ने जल संकट को काफी हद तक नियंत्रित किया है। अनेक स्कूलों और आंगनबाड़ियों में अब पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध है।
रजत जयंती वर्ष पर हुई ये बड़ी पहल
घर के आंगन में नल से गिर रही पानी की धार ने महिलाओं का जीवन ही बदल दिया है। जल जीवन मिशन महज हर घर तक पेयजल पहुंचाने की योजना नहीं है। यह दूरस्थ अंचलों और गांवों में महिलाओं की दिनचर्या और जीवन में बड़ा बदलाव ला रहा है। गांवों में परंपरागत रूप से घर में पेयजल और अन्य जरूरतों के लिए पानी के इंतजाम का जिम्मा महिलाओं पर ही है। घर तक पानी की पहुंच न होने के कारण उन्हें हैंडपंपो, सार्वजनिक नलों, कुंओं या अन्य स्रोतों से रोज पूरे परिवार के लिए जल संकलन करना पड़ता है। रोजाना का यह श्रमसाध्य और समयसाध्य काम बारिश तथा भीषण गर्मी के दिनों में दुष्कर हो जाता है। कई इलाकों में गर्मियों में जलस्रोतों के सूख जाने के कारण दूर-दूर से पानी लाने की मजबूरी रहती है। परिवार के लिए पानी की व्यवस्था हर दिन का संघर्ष बन जाता है। महिलाओं के दिन के कई घंटे इसी काम में निकल जाते हैं।

केंद्र सरकार के समन्वय के साथ हो रहा काम
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हर घर तक नल से जल पहुंचाने के सपने को पूरा करने का जल जीवन मिशन पेयजल के साथ ही महिलाओं को कई समस्याओं से निजात दिला रहा है। घर तक स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल पहुंचने से वे कई चिंताओं से मुक्त हो गई हैं। अब रोज-रोज पानी के लिए बहुत सारा श्रम और समय नहीं लगाना पड़ता। इससे उन्हें घर के दूसरे कामों, बच्चों की परवरिश, खेती-बाड़ी एवं आजीविका के अन्य कार्यों के लिए अधिक समय मिल रहा है और वे इन कार्यों पर अपना ज्यादा ध्यान व समय दे पा रही हैं। बारहों महीने घर पर ही जलापूर्ति से लगातार बारिश तथा गर्मी के दिनों में पेयजल का संकट जल जीवन मिशन ने दूर कर दिया है। गर्मियों में जलस्तर के नीचे चले जाने से तथा बरसात में लगातार बारिश से जल की गुणवत्ता प्रभावित होती है। गुणवत्ताहीन पेयजल से पेट तथा निस्तारी के लिए खराब जल के उपयोग से त्वचा संबंधी रोगों का खतरा रहता है। जल जीवन मिशन ने सेहत के इन खतरों को भी दूर कर दिया है।
4500 करोड़ रुपए का प्रावधान
छत्तीसगढ़ में हर घर में नल से जल पहुंचाने के जल जीवन मिशन का 79 प्रतिशत से अधिक काम पूरा हो गया है। राज्य के 39 लाख 63 हजार 700 घरों में पाइपलाइन से पेयजल पहुंच रहा है। मिशन की शुरूआत के बाद से अब तक करीब 36 लाख 44 हजार नए घरों में नल कनेक्शन दिए गए हैं। प्रदेश में 4142 ऐसे गांव हैं जहां के शत-प्रतिशत घरों में नल से पानी पहुंच रहा है। जल जीवन मिशन के अंतर्गत 19 जिलों में 77 प्रतिशत से अधिक काम पूरे कर लिए गए हैं। हर घर तक नल से जल पहुंचाने के लिए धमतरी जिले में मिशन का 98 प्रतिशत, रायपुर में 94 प्रतिशत, राजनांदगांव में 89 प्रतिशत, जांजगीर-चांपा में 88 प्रतिशत, दुर्ग और मुंगेली में 87 प्रतिशत, बालोद में 86 प्रतिशत तथा गरियाबंद और सक्ती में 85 प्रतिशत काम पूर्ण कर लिया गया है। मिशन के तहत बेमेतरा में 84 प्रतिशत, खैरागढ़-छुईखदान-गंडई और बस्तर में 83 प्रतिशत, कबीरधाम और महासमुंद में 82 प्रतिशत, रायगढ़ में 81 प्रतिशत, कोंडागांव में 79 प्रतिशत, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में 78 प्रतिशत तथा दंतेवाड़ा और बलौदाबाजार-भाटापारा जिले में 77 प्रतिशत से अधिक काम पूर्ण हो चुके हैं। खारे पानी, भू-जल में भारी तत्वों की मौजूदगी या जल स्तर के ज्यादा नीचे चले जाने की समस्या से जूझ रहे गांवों में स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल की आपूर्ति के लिए 71 मल्टी-विलेज योजनाओं का काम प्रगति पर है। इनके माध्यम से 3234 गांवों के दस लाख से अधिक घरों में पेयजल के लिए सतही (नदी) जल पहुंचाया जाएगा। जल जीवन मिशन के कार्यों के लिए राज्य शासन द्वारा चालू वित्तीय वर्ष के बजट में राज्यांश के रूप में 4500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।

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