आधी रात इंदौर कलेक्टर रहे अजीत जोगी को आया फोन, कहा- राजनीति में आना है या कलेक्टर ही रहना है, तुम्हारे पास ढाई घंटे हैं…
आधी रात इंदौर कलेक्टर रहे अजीत जोगी को आया फोन, कहा- राजनीति में आना है या कलेक्टर ही रहना है, तुम्हारे पास ढाई घंटे हैं...
रायपुर: छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम अजीत जोगी का आज दोपहर निधन हो गया। जोगी लंबे समय से राजधानी के एक अस्तपाल में भर्ती थे और आज दोपहर उनका निधन हो गया। जोगी को कार्डियक अरेस्ट आया था। यूं तो अजीत जोगी के कई किस्से मसहूर है, लेकिन हम आपको एक ऐसे किस्से के बारे में बता रहे है।, जब उन्हें आधी रात को एक फोन आया और वे कलेक्टर अजीत जोगी से एक कांग्रेस नेता अजीत जोगी बन गए। जी हां ये बात शायद कम ही लोगोें को पता हो, लेकिन अजीत जोगी ने एक मेकेनिकल इंजीनियर से लेकर छत्तीसगढ़ के सीएम तक का सफर तय किया था।
बात साल 1985 की है, जब इंदौर कलेक्टर अजीत जोगी अपने बंगले में सो रहे थे। इस दौरान उनके बंगले का फोन बजा। फोन तो उनके एक कर्मचारी ने उठाया और कहा कि कलेक्टर साहब तो सो रहे हैं। सामने से एक आवाज आई और उन्होंने आदेश भरे स्वर में कहा कि कलेक्टर साहब को उठाइए और बात करवाई। इसके बाद अजीत जोगी उठे और फोन लाइन पर आए।
अजीत जोगी ने जैसे ही फोन पर हैलो कहा, सामने से एक आवाज आई तुम्हारे पास ढाई घंटे हैं, राजनीति में आना है या कलेक्टर ही रहना है? दिग्विजय सिंह आपको लेने आएंगे, उनको अपना फैसला बता देना। दरअसल फोन करने वाला वह शख्स कोई और नहीं बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के पीए वी जॉर्ज का। इसके ढाई घंटे बाद दिग्विजय सिंह अजीत जोगी के बंगले पर पहुंचे, तब तक अजीत जोगी एक कलेक्टर से कांग्रेस नेता अजीत जोगी बन चुके थे। कुछ ही दिन बाद उनको कांग्रेस की ऑल इंडिया कमिटी फॉर वेलफेयर ऑफ़ शेड्यूल्ड कास्ट एंड ट्राइब्स के मेंबर बना दिया गया। कुछ ही महीनों में राज्यसभा भेज दिए गए।
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ऐसा था उनका राजनीतिक सफर
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अजीत जोगी 1986 से 1998 के बीच दो बार कांग्रेस से राज्य सभा के सांसद चुने गए।
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1998 में वे रायगढ़ से सांसद चुने गए।
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1998 से 2000 के बीच वे कांग्रेस के प्रवक्ता भी रहे।
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2000 से 2003 के बीच छत्तीसगढ़ राज्य के पहले मुख्यमंत्री रहे।
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2004 से 2008 के बीच वे 14वीं लोकसभा के सांसद रहे।
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2008 में वे मरवाही विधानसभा सीट से चुन कर विधानसभा पहुंचे। 2009 के लोकसभा चुनावों में चुने जाने के बाद जोगी ने लोकसभा सदस्य छत्तीसगढ़ के महासामुंद निर्वाचन क्षेत्र के रूप में काम किया।
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जोगी 2014 में हुये लोकसभा चुनावों में अपनी सीट बरकरार रखने में असफल रहे और बीजेपी के चंदू लाल साहू से 133 मतों से हार गए।
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2018 विधानसभा चुनाव में अजीत जोगी अपने पारंपरागत मरवाही सीट से चुनाव लड़े और उन्होंने जीत भी दर्ज की।

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