'लाल आतंक' पर भारी कोरोना ! बस्तर में सिमट रहा 'लाल गलियारा' | Corona heavy on 'Red Terror'! 'Red Corridor' is shrinking in Bastar

‘लाल आतंक’ पर भारी कोरोना ! बस्तर में सिमट रहा ‘लाल गलियारा’

'लाल आतंक' पर भारी कोरोना ! बस्तर में सिमट रहा 'लाल गलियारा'

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:22 PM IST, Published Date : July 14, 2021/6:13 pm IST

रायपुर। बीते कई दशकों से बस्तर को लहूलुहान कर रहे नक्सलवाद पर कोरोना की दूसरी लहर ने ऐसा वार किया कि…उसकी जड़ें पूरी तरह हिल गई है।  हाल ही में दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी ने आंकड़े जारी कर बताया कि कोरोना ने उनके सौ से ज्यादा साथी को छीन लिया..जबकि मौत के डर ने शीर्ष के कई बड़े नेताओं ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया है। अब सवाल ये है कि…क्या वाकई कोरोना की वजह से नक्सली बैकफुट पर हैं,या फोर्स के बढ़ते दबाव से कुनबा घट रहा है। सवाल ये भी कि क्या लाल आतंक की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है…?

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 कोरोना की दूसरी लहर दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी पर कहर बनकर टूटी है।   10 लाख के इनामी नक्सली विनोद, जो जीरम सहित कई बड़े हमलों का मास्टरमाइंड रहा है, वहीं  रमन्ना के बेटा रंजीत, दोनों ने तेलंगाना डीजीपी के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। कोरोना के कारण बीते दो महीने में दो दर्जन से ज्यादा नक्सली लीडर्स की मौत की खबर भी आई है।.मौत के आंकड़े प्रेस नोट जारी कर खुद नक्सल संगठन दे रहे हैं। पुलिस के मुताबिक अभी भी कई बड़े नक्सली कोरोना से संक्रमित हैं। 

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 जाहिर है कोविड काल ने नक्सलियों के शीर्ष नेतृत्व की कमर तोड़ दी है।  इससे बचने के लिए बड़ी संख्या में स्थानीय कैडर सरेंडर कर रहे हैं। लाल लड़ाकों को केवल बीमारी ने ही नुकसान नहीं पहुंचाया, बल्कि बस्तर के अंदरूनी इलाकों में फोर्स का दबाव उनके दायरे को घटा रहा है।  सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर और कोंडागांव जैसे धुर नक्सल प्रभावित इलाकों में फोर्स के कैंप खुल चुके हैं। नए कैंपों को लेकर तमाम विरोध के बाद भी नक्सली सुरक्षाबलों का मनोबल कम नहीं कर पाए। राज्य सरकार भी दावा कर रही है कि नक्सली अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। 

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 हालांकि विपक्ष मुख्यमंत्री के इस बयान से इत्तेफाक नहीं रखता है। उसके मुताबिक दशकों से बस्तर को लहुलूहान कर रहा नक्सलवाद की जड़े अभी भी काफी गहरी हैं। कुल मिलाकर.. कोरोना ने नक्सलियों का बड़ा नुकसान किया है..उन्हें अपने संगठन को चलाने में मुश्किलें पेश आ रही हैं । जिस तरह से नक्सलियों ने अपने संगठन में अब तक दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के सचिव के नाम का जिक्र नहीं किया है उससे ये भी पता चलता है कि नक्सल संगठन पर दबाव बढ़ रहा है। लेकिन नक्सलियों का ट्रैक रिकॉर्ड बताता है कि..वो हर चुनौती के बाद दोगुनी ताकत से लौटते हैं। ऐसे में सुरक्षाबलों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि नक्सलवाद पर अंतिम प्रहार बीते कई दशकों का अधूरा इंतजार साबित हो रहा है । 

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