यूथ का बहाना…किस पर निशाना… कमलनाथ की कप्तानी में युवाओं को मिलेगा मौका या फिर नेता पुत्र ही करेंगे बल्लेबाजी?

यूथ का बहाना...किस पर निशाना... कमलनाथ की कप्तानी में युवाओं को मिलेगा मौका या फिर नेता पुत्र ही करेंगे बल्लेबाजी?

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  • Publish Date - June 19, 2021 / 06:33 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:19 PM IST

भोपाल: प्रदेश मे कोरोना कंट्रोल होते ही सियासी हलचल तेज है, बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टियां मिशन 2023 की तैयारियों में जुट गई है। खास तौर पर कांग्रेस अपने संगठन में बड़ा बदलाव करने जा रही है, पार्टी के पुनर्गठन की तैयारी भी शुरु हो गई है। सूत्रों की माने तो एक जुलाई तक नई कार्यकारिणी का गठन हो जाएगा। इसमें युवा चेहरों को मौका देने की बात कही जा रही है। हालांकि ये तोहमत भी लग रही है कि बड़े नेता अपने पुत्रों को आगे बढ़ाने के लिए तगड़ी लॉबिंग कर रहे हैं। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि कमलनाथ की कप्तानी में एमपी की सियासी पिच पर पार्टी के लिए वर्षों से समर्पित युवा नेताओं को मौका मिलता है या फिर नेता पुत्र ही बल्लेबाजी करेंगे?

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मिशन 2023 की चुनावी जंग में तैयारी के साथ उतरने के लिए एमपी कांग्रेस कमर कस रही है।विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को मजबूती देने प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ अपनी टीम में बड़ा बदलाव कर सकते हैं। ऐसा माना जा रहा है कि नई कार्यकारिणी में ज्यादा से ज्यादा युवाओं को मौका मिल सकता है। इस बात को कांग्रेस नेता कई बार खुले मंच से कह चुके हैं, अगर अगला चुनाव जीतना है तो युवाओं को आगे लाना होगा।

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कार्यकारिणी में युवा चेहरों को मौका देने के बहाने कांग्रेस के कई नेता अपने पुत्रों को एडजस्ट करने की लॉबिंग कर रहे हैं। इस लिस्ट में सबसे ऊपर नाम दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह का है। इसके अलावा पूर्व मंत्री जीतू पटवारी, कमलेश्वर पटेल और प्रियव्रत सिंह का नाम भी सुर्खियों में है। वहीं अरुण यादव और अजय सिंह भी राजनीतिक पुनर्वास के लिए संगठन में बड़े पद की आस लगाए बैठे हैं।  हालांकि कांग्रेस का मानना है कि भले संगठन के नेतृत्व में युवा नेताओं को जगह न मिले लेकिन सेकंड लाइन की लीडरशिप को इस तरीके से तैयार किया जाए ताकि बड़े नेताओं की गैरमौजूदगी पर रिक्त स्थान की आसानी से भरपाई हो सके।

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विधानसभा चुनाव के वक्त कांग्रेस ने बगावत को शांत करने के लिए बड़ी संख्या में पद बांटे थे। फिलहाल प्रदेश कांग्रेस के एक हजार से ज्यादा पदाधिकारी हैं, जिसमें से आधे से ज्यादा निष्क्रिय हैं और कुछ सिंधिया के साथ बीजेपी में जा चुके हैं। नई कार्यकारिणी में अब उन्हीं नेता और कार्यकर्ताओं को जगह देने की बात कही जा रही है जो सक्रिय हैं और पिछले तीन साल से पार्टी के लिए किला लड़ा रहे हैं। इसके अलावा पूर्व विधायक और विधानसभा प्रत्याशी को भी पीसीसी में जगह मिलने की उम्मीद है। खबर है कि कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति का फॉर्मूला इस दफे भी कांग्रेस अपना सकती है। हालांकि कांग्रेस की चुनावी तैयारियों पर बीजेपी तंज कसने का मौका नहीं छोड़ रही।

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बहरहाल कांग्रेस उपचुनाव से पहले संगठन को नया रूप देकर जोश के साथ मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस का थिंक टैंक अच्छे से जानता है कि अगर 3 विधानसभा और खंडवा लोकसभा सीट पर होने वाले चुनाव में अगर जीत मिलती है तो नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस के लिए बड़ी संजीवनी साबित होगा। साथ ही 2023 के लिए भी कार्यकर्ता नई उर्जा से काम करेंगे। बहरहाल देखना ये है कि कांग्रेस की कार्यकारिणी में वाकई नए चेहरों को प्राथमिकता दी जाती है या फिर हर बार की तरह इस बार भी हेलिकॉप्टर लैंडिंग के जरिए नेताओं को पहले से ही तैयार हो चुकी सियासी जमीन मिलेगी।

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