राशन माफिया श्याम दवे का मकान और प्लॉट नीलाम कर रिकवरी करेगी प्रशासन, 80 लाख रुपए के राशन का किया था घोटाला

राशन माफिया श्याम दवे का मकान और प्लॉट नीलाम कर रिकवरी करेगी प्रशासन, 80 लाख रुपए के राशन का किया था घोटाला

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  • Publish Date - February 24, 2021 / 04:20 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:49 PM IST

इंदौर: शासकीय कर्मचारियों की मिलीभगत कर 80 लाख रुपए का राशन घोटाला करने वाले राशन माफिया श्याम दवे की संपत्ति नीलाम की जाएगी। बताया जा रहा है कि 12 मार्च को प्रशासन श्याम दवे की मोती तबेला स्थित मकान और प्लाट नीलाम करेगी। मामले में खुलासा होने के बाद प्रशासन ने घोटाले की रकम रिकवरी के लिए संपत्ति बेचने का फैसला किया है।

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इससे पहले जिला कलेक्टर मनीष सिंह ने संवाददाता सम्मेलन में बताया, “हमारी जांच में पता चला है कि अप्रैल से लेकर दिसंबर 2020 के बीच शहर में उचित मूल्य की 12 सरकारी दुकानों के जरिये कुल 79 लाख चार हजार 479 रुपये का राशन गरीब वर्ग के लोगों को प्रदान करने के बजाय खुले बाजार में बेच दिया गया।”

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उन्होंने बताया, “हितग्राहियों के बयानों से पता चलता है कि खासकर कोविड-19 के लॉकडाउन के वक्त उन्हें जानकारी नहीं थी कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत उनके लिए अलग से राशन भेजा गया है। इस अज्ञानता का फायदा उठाकर उचित मूल्य की सरकारी दुकानों से उन्हें यह राशन प्रदान नहीं किया गया और इसे दस्तोवजों के फर्जीवाड़े के जरिये खुले बाजार में बेच दिया गया।”

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सिंह ने बताया कि राशन माफिया ने उचित मूल्य की सरकारी दुकानों के कर्ता-धर्ताओं की मिली-भगत से गेहूं, चावल, नमक, शक्कर, चना दाल, तुअर दाल, साबुत चना और कैरोसीन की बड़ी खेप हड़प ली। उन्होंने बताया कि इस घोटाले के मुख्य आरोपियों के रूप में राशन दुकानदारों के एक संगठन के अध्यक्ष भरत दवे, श्याम दवे और प्रमोद दहीगुड़े की पहचान हुई है। तीनों के खिलाफ एनएसए लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

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जिलाधिकारी ने बताया कि इन तीनों समेत कुल 31 लोगों के खिलाफ शहर के अलग-अलग पुलिस थानों में 10 प्राथमिकियां भी दर्ज कराई गई हैं। राशन घोटाले के आरोपियों में उचित मूल्य की सरकारी दुकानों के कर्मचारियों के साथ ही जिले के तत्कालीन खाद्य नियंत्रक आरसी मीणा शामिल हैं। सिंह के मुताबिक मीणा पर राशन माफिया से मिलीभगत के साथ ही यह आरोप भी है कि उन्होंने उनके कनिष्ठ अफसरों को इस घोटाले की सही जांच करने से रोका और उनका भविष्य खराब करने की धमकी दी।

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उन्होंने बताया कि गड़बड़ियों के खुलासे पर इंदौर संभाग के आयुक्त (राजस्व) पवन शर्मा ने तत्कालीन खाद्य नियंत्रक को 13 जनवरी को निलंबित कर दिया था। जिलाधिकारी ने बताया कि प्रशासन की विस्तृत जांच जारी है और इंदौर के अलावा राज्य के अन्य जिलों से भी राशन घोटाले के तार जुड़े होने के संकेत मिल रहे हैं।

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