रायपुर। संस्कृति मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने ही छत्तीसगढ़ की कला-संस्कृति को जीवित रखने और संवारने का काम किया है। मैं इसके लिए सभी कलाकारों को बधाई देता हूं। साहू ने मंगलवार को छत्तीसगढ़ी लोककला के पुरोधा स्वर्गीय खुमान साव के निवास राजनांदगांव जिले के ग्राम ठेकवा में आयोजित उनके दशगात्र कार्यक्रम में इस आशय के विचार व्यक्त किए। संस्कृति मंत्री साहू ने इस अवसर पर स्वर्गीय खुमान साव के संस्मरण से संबंधित विभिन्न आलेखों पर केंद्रित पुस्तक ‘श्रद्धांजलि खुमान साव’ का विमोचन भी किया।
ताम्रध्वज ने कार्यक्रम की शुरूआत में स्वर्गीय खुमान साव के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। संस्कृति मंत्री ने स्वर्गीय साव के परिजनों से भेंट कर संवेदना प्रकट की। संस्कृति मंत्री साहू ने कहा कि छत्तीसगढ़ी संस्कृति हमारी विरासत है, हमारी शाश्वत पहचान है। इसे अपने-अपने तरीके से संरक्षित करने के लिए हम सबको कार्य करना चाहिए। छत्तीसगढ़ी संस्कृति से ही हमारी पहचान है। छत्तीसगढ़ की सहजता, सरलता, सदभाव और अपनेपन को सब जानते हैं। साहू ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का साफ कहना है कि भौतिक विकास एक तरफ और छत्तीसगढ़ की बोली, रहन-सहन, खान-पान एक तरफ है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर में स्वर्गीय खुमान साव की प्रतिमा स्थापित करने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने स्वर्गीय साव के नाम से पुरस्कार शुरू करने और छत्तीसगढ़ी कला पर आधारित एक दिन का कार्यक्रम हर साल करने की घोषणा भी की है।
संस्कृति मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार छत्तीसगढ़ की संस्कृति को संरक्षित करने का बीड़ा उठाया है। प्रदेश सरकार ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति का ध्वज वाहक है। सरकार बनते ही विधानसभा में सबसे पहला संशोधन राजिम कुंभ की जगह राजिम पुन्नी मेला आयोजित करने के लिए किया गया। पिछले राजिम पुन्नी मेले में छत्तीसगढ़ की संस्कृति की झलक देखने को मिली। राजिम पुन्नी मेले में जगह-जगह छत्तीसगढ़ की पारंपरिक लोक खेल देखने को मिले। छत्तीसगढ़ की कला की विभिन्न विधाओं का आनंद भी दर्शकों को मिला। सही मायने में राजिम पुन्नी मेले में छत्तीसगढ़ की कला-संस्कृति का संगम हो गया था। प्राचीन राजिम पुन्नी मेले के वैभव को पुनर्जीवन मिला। अगले साल राजिम पुन्नी मेले को छत्तीसगढ़ी संस्कृति से और अधिक संवारकर भव्य स्वरूप दिया जाएगा।
संस्कृति मंत्री ने कहा कि दशगात्र कार्यक्रम में कहा कि हम ऐसे महान व्यक्ति को श्रद्धासुमन अर्पित करने उपस्थित हुए हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन छत्तीसगढ़ की लोककला को आगे बढ़ाने में समर्पित किया है। छत्तीसगढ़ की कला-संस्कृति से प्यार करने वाले सभी लोगों को खुमान साव के जाने से पीड़ा है। छत्तीसगढ़ के कलाकारों को स्वर्गीय खुमान साव से प्रेरणा मिलती थी। साहू ने कहा कि मुझे इस बात की खुशी है कि खुमान साव के निधन के बाद उन्हें स्वराजंलि के माध्यम से श्रद्धांजलि देने रायपुर, राजनांदगांव के साथ-साथ प्रदेश भर में लगातार कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। साहू ने कहा कि विकास की प्रक्रिया में चाहे कितने भवन बना लो, लेकिन यह बात निश्चित है कि जब तक हमारी संस्कृति सुरक्षित है, तब तक हम भी सुरक्षित हैं।
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दशगात्र कार्यक्रम में पद्मश्री सम्मान प्राप्त छत्तीसगढ़ी गायिका ममता चंद्राकर, गायिका कविता वासनिक सहित अन्य कलाकारों ने स्वर्गीय खुमान साव के संगीत से सजे बेहद लोकप्रिय छत्तीसगढ़ी गाने गाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। स्वर्गीय खुमान साव के दशगात्र कार्यक्रम में पद्मश्री सम्मान प्राप्त छत्तीसगढ़ की सुप्रसिद्ध गायिका ममता चंद्राकर, गायिका कविता वासनिक, डोंगरगढ़ विधायक भुनेश्वर बघेल, संचालक संस्कृति अनिल साहू, उप संचालक राहुल सिंह, अशोक तिवारी, वीरेन्द्र बहादुर सिंह सहित बड़ी संख्या में छत्तीसगढ़ी कलाकार, छत्तीसगढ़ी फिल्म निर्माता, निर्देशक, गीतकार और संगीतकार शामिल हुए और उन्हें श्रद्धांजलि दी।