केंद्र सरकार को 350 कार्यकर्ताओं का खुला पत्र, मनरेगा को रद्द न करने की अपील की
केंद्र सरकार को 350 कार्यकर्ताओं का खुला पत्र, मनरेगा को रद्द न करने की अपील की
नयी दिल्ली, 30 दिसंबर (भाषा) विभिन्न वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और नागरिक समाज के संगठनों ने मंगलवार को केंद्र सरकार को एक खुला पत्र लिखकर मनरेगा को खत्म करने के बजाय इसके कार्यान्वयन से जुड़ी समस्याओं को दूर करने का आग्रह किया है।
लगभग 350 शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और कार्यकर्ताओं के हस्ताक्षर वाले इस पत्र में कहा गया है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को खत्म करने और उसकी जगह ‘विकसित भारत-रोजगार गारंटी आजीविका मिशन-ग्रामीण’ (वीबी-जी राम जी) अधिनियम लाने के लिए जो तर्क दिए गए, उनमें कई खामियां थीं।
पत्र में कहा गया है कि मनरेगा की मांग-आधारित व्यवस्था एक क्रांतिकारी अवधारणा थी, जो अधिकार-आधारित रोजगार गारंटी के इसके सिद्धांत से जुड़ी थी। यह एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करती है जहां गरीब अपने अधिकारों की मांग कर सकते हैं, हाशिए पर खड़े लोगों को अपनी मौजूदगी दर्ज कराने का अवसर मिलता है और अल्पसंख्यकों की आवाज सुनी जा सकती है।
इसमें कहा गया कि वीबी-जी राम जी जैसी नियमों पर आधारित व्यवस्था ऐसे मंचों को खत्म कर देगी।
पत्र में कहा गया है कि अनगिनत अध्ययनों से पता चला है कि मनरेगा ने गरीबों को प्रशासन से सामाजिक जवाबदेही, स्थानीय अभिजात्य वर्ग से समानता, और समुदाय से आपसी सम्मान व सहमति मांगने की ताकत दी है।
पत्र में कहा गया, ‘नियम आधारित व्यवस्था में यह सब कुछ खो जाएगा।’
भाषा जोहेब संतोष
संतोष

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