नई दिल्लीः अभी ज्यादा वक्त नहीं गुजरा जब कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को एक तरह से ठप सा कर दिया था। कोरोना वैक्सीन की मदद से जैसे-तैसे जिंदगी पटरी पर लौटी ही थी कि भारत समेत दुनिया भर में कोरोना के मामले फिर से बढ़ने लगे है, जिसने कई आशंकाओं को जन्म दे दिया है। संक्रमित लोगों की संख्या और मृतकों का आंकड़ा चिंता बढ़ा रहा है। आखिर कोरोना के दोबारा लौटने की वजह क्या है और क्या ये पहले जितना खतरनाक है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने वाले सभी मंत्रियों के लिए RT-PCR टेस्ट अनिवार्य कर दिया गया है। पीएम मोदी से मिलने वाले बाकी लोगों का भी कोरोना टेस्ट कराया जाएगा। जिसके बाद ही पीएम मोदी से मुलाकात हो सकेगी। इस एहतियातन कदम की एक बड़ी वजह देश में कोरोना के मामलों की मौजूदा स्थिति है। दरअसल देश में कोरोना के एक्टिव केसों की संख्या 7121 तक पहुंच गई है। केरल में सबसे ज्यादा 2223 मरीज हैं। इसके बाद गुजरात में 1223, दिल्ली में 757 और पश्चिम बंगाल में 747 पॉजिटिव मरीज है। बीतें 24 घंटे में 306 से ज्यादा नए मामले सामने आए हैं। कोरोना के नए वैरिएंट से अब तक 74 मौतें हुई हैं। हर दिन औसतन 350 से ज्यादा नए कोरोना केस दर्ज हो रहे हैं।
साल 2020-21 में कोरोना अपने चरम पर था। रोजाना हजारों केस सामने आ रहे थे और सैकड़ों लोगों की मौत हो रही थी, लेकिन युद्ध स्तर पर चलाए गए वैक्सिनेशन प्रोग्राम से इस पर लगभग पूरी तरह काबू पा लिया गया है। ऐसे में लोगों के मन में बड़ा सवाल ये कि कोरोना के मामले फिर क्यों इतनी तेज से बढ़ रहे है। दरअसल, भारत में कोविड 19 के 4 नए वेरिएंट मिले है। इनका पता तब चला जब कोरोना मरीजों की जीनोम सिक्वेंसिंग की गई। ये वेरिएंट LF.7, XFG, JN.1 और NB.1.8.1 सीरीज के हैं। चीन सहित एशिया के दूसरे देशों में कोविड के बढ़ते मामलों में यही वैरिएंट दिखे जा रहे हैं हालांकि भारत में कोविड का JN.1 वैरिएंट सबसे आम है। टेस्टिंग में आधे से ज्यादा सैंपल में यही वैरिएंट मिला है। इसके बाद BA.2…26 % और ओमिक्रॉन सबलाइनेज 20% मामलों में मिला हैं कोरोना के अब तक सामने आए मामले हालांकि बहुत गंभीर नहीं है.. लेकिन स्वास्थ्य से जुड़े विशेषज्ञ लोगों को चिंता से ज्यादा सतर्क रहने की सलाह दे रहे हैं।
कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्यों में भी इसे लेकर सतर्कता बढ़ गई है। पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने सरकारी अस्पतालों में इलाज की पूरी व्यवस्था के निर्देश दिए। गुजरात ने अस्पतालों में बेड, वेंटिलेटर और ICU बेड की व्यवस्थाएं करने की बात कही है। केरल में जुकाम, खांसी और बुखार के लक्षण पर कोविड टेस्ट अनिवार्य कर दिया गया है। कर्नाटक के गुलबर्गा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में 25 बेड का कोविड वार्ड बनाया गया है। उत्तराखंड में जिला प्रशासन से अस्पतालों में ऑक्सीजन और जरूरी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा है तो हिमाचल में पहला कोरोना मरीज मिलने के साथ ही अस्पतालों में मास्क लगाना अनिवार्य कर दिया गया है।
कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए 5 जून को ही देशभर के अस्पतालों में मॉक ड्रिल की गई थी, ताकि ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, आइसोलेशन बेड और जरूरी दवाओं की पूर्ति सुनिश्चित की जा सके। वहीं, 2 और 3 जून को स्वास्थ्य महानिदेशक की अध्यक्षता में तकनीकी समीक्षा बैठकें हुई थीं, जिनमें राज्य व आपदा प्रबंधन एजेंसियों के साथ तैयारियों की समीक्षा की गई थी। ये जरूर है कि कोरोना के नए वेरिएंट उतने संक्रामक नहीं है जितने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान थे, लेकिन फिर भी सतर्कता और ऐहतियात बेहद जरुरी है।